महाराष्ट्र में एक विज्ञापन के कारण महायुति सरकार विपक्ष के निशाने पर है। कई अखबारों में छपे पहले पन्ने पर छपे ‘देवाभाऊ’ विज्ञापन में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस महान मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज को श्रद्धांजलि देते हुए दिखाई दे रहे हैं। यह विज्ञापन महाराष्ट्र में एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है। विपक्षी महाविकास अघाड़ी ने भाजपा पर निशाना साधते हुए काले धन के इस्तेमाल का आरोप लगाया है।
क्या है मामला?
यह विज्ञापन किसने जारी किया है, यह अभी पता नहीं चल पाया है और इससे तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। यह विज्ञापन महायुति सरकार द्वारा मराठवाड़ा क्षेत्र में हैदराबाद गजट लागू करने के फैसले के बाद आया है- जिसमें कहा गया है कि मराठा कुनबी हैं जिससे उन्हें ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण मिल सकेगा।
विज्ञापन पर 40-50 करोड़ रुपये खर्च हुए होंगे- संजय राउत
शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सांसद संजय राउत और एनसीपी (SP) के कर्जत-जामखेड़ विधायक रोहित पवार ने इस विज्ञापन के सोर्स के बारे में पूछताछ की। संजय राउत ने कहा, “अदृश्य दानदाता की पहचान क्या है? विज्ञापन पर 40-50 करोड़ रुपये खर्च हुए होंगे। हर मराठी को छत्रपति शिवाजी महाराज का आदर करना चाहिए, लेकिन राजनीतिक लाभ और आत्म-प्रचार के लिए उनकी तस्वीर का इस्तेमाल करना अनुचित है।” उन्होंने यह भी बताया कि उनकी पहचान गुप्त रखने से पता चलता है कि काले धन का इस्तेमाल किया गया होगा।
वहीं रोहित पवार ने कहा, “राज्य में हर रोज आठ किसान अपनी जान दे रहे हैं और महाराष्ट्र अत्यधिक बारिश से जूझ रहा है। ऐसे में कई हवाई अड्डों पर अखबारों के पन्नों पर मुख्यमंत्री के बड़े-बड़े विज्ञापनों पर करोड़ों रुपये खर्च करने की सरकार की प्रवृत्ति देखकर बहुत गुस्सा आ रहा है। करोड़ों रुपये के इन विज्ञापनों के बारे में और जानकारी जुटाने पर पता चला कि ये विज्ञापन सरकार के एक मंत्री ने फडणवीस को सूचित किए बिना एकतरफ़ा जारी किए थे और ख़ास बात यह है कि यह मंत्री भाजपा से नहीं, बल्कि एक सहयोगी दल से है।अगर मुझे मिली जानकारी सही है, तो सहयोगी दल के मंत्री ने गुमनाम रूप से मुख्यमंत्री के लिए करोड़ों रुपये के विज्ञापन क्यों जारी किए? इन विज्ञापनों के लिए करोड़ों रुपये कहां से आए? यह मंत्री कौन है? ऐसे कई सवाल उठते हैं। अगर विज्ञापनों के लिए ज़िम्मेदार लोग सामने आएं, तो इन सवालों के जवाब ज़रूर मिल जाएंगे।”
मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने क्या कहा?
इस बीच आरोपों का जवाब देते हुए राज्य के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा, “अगर किसी ने विज्ञापन दिया है, तो उनके पेट में दर्द क्यों हो रहा है? (पूर्व मुख्यमंत्री) उद्धव ठाकरे ने एमवीए सरकार चलाते समय कितने विज्ञापन जारी किए थे।”
इस बीच उपमुख्यमंत्री और शिवसेना के प्रमुख नेता एकनाथ शिंदे ने कहा, “हम श्रेय लेने की होड़ में नहीं हैं। चाहे मराठा समुदाय हो या अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), उन्हें न्याय दिलाने का काम महायुति सरकार ने किया है। इस काम की पुष्टि पिछले विधानसभा चुनावों में ही मिल चुकी थी। अब देवेंद्र जी और मैंने एक टीम के रूप में अपनी दूसरी पारी शुरू कर दी है। आगे भी हमारा एजेंडा वही रहेगा, राज्य का विकास और गरीबों व ज़रूरतमंदों की मदद।”