भारत विवाद के बावजूद मालदीव को जरूरी सामान भेजता रहेगा। मालदीव में मौजूद भारतीय उच्चायुक्त ने बताया कि मालदीव सरकार की अपील पर भारत 2024-25 के लिए उसे जरूरी सामान देता रहेगा। सामान की जो मात्रा तय की गई है वह 1981 के बाद सबसे ज्यादा होगी। हालांकि, यह अभी साफ नहीं किया गया है सामान कितना होगा।

भारत सरकार ने देश में चावल, चीनी और प्याज जैसी रोजमर्रा की चीजों के दाम काबू में रखने के लिए इनके निर्यात पर फिलहाल रोक लगा रखी है। लेकिन अब सरकार ने घोषणा की है कि प्रतिबंधों के बावजूद मालदीव में इन वस्तुओं की आपूर्ति जारी रहेगी। उच्चायुक्त के मुताबिक, निर्माण क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाली नदी की रेत और पत्थरों का 10-10 लाख मीट्रिक टन निर्यात किया जाएगा।

इसमें 25% की बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा अंडे, आलू, आटा और दाल के कोटे को भी 5% बढ़ाया गया है। भारतीय उच्चायुक्त ने कहा कि यह कदम भारत के पड़ोसी देशों को प्राथमिकता देने वाली नीति ‘पड़ोसी पहले’ के तहत उठाए गए हैं। भारत हमेशा से मालदीव में लोगों से जुड़े विकास को बढ़ावा देता रहा है। पिछले साल भी भारत ने चावल, चीनी और प्याज के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध के बावजूद मालदीव को इनकी आपूर्ति जारी रखी थी।

भारत सरकार ने यह घोषणा ऐसे समय की है, जब पिछले कुछ महीनों में मालदीव के साथ रिश्ते चुनौतीपूर्ण रहे हैं। पड़ोसी देश में मोहम्मद मुइज्जू ने राष्ट्रपति बनने के बाद से ‘इंडिया आउट’ की नीति अपनाई है। इसके तहत वहां मौजूद 88 भारतीय सैनिकों को हटाने का फैसला किया गया था।