50 वर्षों में डेंगू के मामलों में लगातार वृद्धि हुई है, मुख्य रूप से दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में। हालांकि, भारत में मच्छर जनित इस बीमारी के खिलाफ कोई स्वीकृत टीके नहीं हैं, लेकिन अन्य देशों में कुछ टीके जरूर विकसित किए गए हैं। आइआइएससी बंगलुरू में रसायन अभियांत्रिकी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर राहुल राय ने कहा, हम यह समझने की कोशिश कर रहे थे कि भारतीय स्वरूप (डेंगू विषाणु के) कितने अलग हैं और हमने पाया कि वे टीके विकसित करने के लिए इस्तेमाल किए गए मूल स्वरूपों से बहुत अलग हैं।
अध्ययन रिपोर्ट पत्रिका ‘पीएलओएस पैथजन’ में प्रकाशित हुई है। वर्ष 1956 और 2018 के बीच संक्रमित रोगियों से एकत्र किए गए डेंगू विषाणु के भारतीय स्वरूपों के सभी उपलब्ध (408) आनुवंशिक अनुक्रमों की पड़ताल की गई। डेंगू विषाणु की चार व्यापक श्रेणियां ‘सीरोटाइप- (डेंगू 1, 2, 3 और 4)’ हैं। टीम ने जांच की कि इनमें से प्रत्येक ‘सीरोटाइप’ अपने पैतृक अनुक्रम से, एक-दूसरे से और अन्य अनुक्रमों से कितना अलग हुआ।
अध्ययन के संबंधित लेखक राय ने कहा, हमने पाया कि अनुक्रम बहुत ही जटिल बनावट में बदल रहे हैं। अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, 2012 तक भारत में ‘डेंगू 1 और 3’ प्रमुख स्वरूप थे। हालांकि, हाल के वर्षों में ‘ डेंगू 2’ पूरे देश में अधिक प्रभावी हो गया है, जबकि कभी सबसे कम संक्रामक माना जाने वाला ‘डेंगू 4’ अब दक्षिण भारत में अपनी जगह बना रहा है।