फरीदाबाद के खोरी गांव में अवैध निर्माणों पर कार्यवाही करते हुए प्रशासन ने 10 हजार मकान गिराए हैं। तोड़फोड़ की कार्रवाई से पहले प्रशासन की चेतावनी का असर भी देखने को मिला। गुरुवार को पहले तोड़े गए मकानों व लोगों द्वारा स्वयं खाली किए गए मकानों का मलबा ईट, दरवाजे, खिड़कियां व अन्य सामान लोगों ने खुद ही उठाना शुरू कर दिया है। इसके लिए प्रशासन लोगों की ट्रक व जेसीबी से लगातार मदद कर रहा है।
शुक्रवार को दर्जनभर जेसीबी व ट्रक लगाकर भारी मात्रा में मलबा उठवाया गया। साथ ही जमीन भी समतल की गई। लेकिन दिल्ली के पास जंगल में अवैध रूप से यह गांव कैसे बसा इसकी जानकारी बहुत कम लोगों को है। इस गांव में जमीन खरीदने वाले गरीब मजदूर थे जो दिल्ली, फरीदाबाद में मेहनत मजदूरी करने आए थे। उन्होंने सोचा कि अपना भी घर होना चाहिए, तो भूमाफिया और सरकारी मुलाजिमों की सांठ-गांठ से खोरी गांव की जमीन उनको बेची गई।
फरीदाबाद और दिल्ली के बॉर्डर के अरावली के जंगलों में बसा खोरी गांव कोई रातों रात नहीं बसा है। बीते 20 सालों में अरावली के जंगल के बिल्कुल बीचों बीच में ये पूरा गांव बस गया। इसके चलते जो पर्यावरण विद को चिंता थी कि जंगल में खनन हो रहा है। अवैध निर्माण हो रहा है।
इसके चलते कुछ पर्यावरण विद सुप्रीम कोर्ट गए और इन मकानों को हटाने की बात कही। याचिका में जिला प्रशासन पर काम नहीं करने का भी आरोप लगाया। इसके बाद कोर्ट ने आदेश दिया कि फरीदाबाद जिला प्रशासन 6 हफ्तों के भीतर खोरी गांव में अवैध रूप से बने 10 हजार मकान गिराए।
आदेश पर इस जंगल की जमीन को पूरी तरह से खाली किया जाना है. जिसके बाद इस जमीन पर पेड़ पौधे लगाए जाएंगे। किसी भी प्रकार की घटना से निपटने के लिए भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है।
वहीं प्रधानमंत्री कार्यालय का घेराव करने आए खोरी गांव, फरीदाबाद के 100 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को बृहस्पतिवार सुबह हिरासत में ले लिया गया था। प्रदर्शनकारियों को बसों में भरकर मंदिर मार्ग व कनॉट प्लेस समेत कई थानों में रखा गया। कुछ घंटे हिरासत में रखने के बाद प्रदर्शनकारियों को छोड़ दिया गया था। प्रदर्शनकारियों में पूर्व सांसद व कांग्रेस नेता डा. उदित राज व फरीदाबाद के संजय समेत कई नेता शामिल था। किसी भी प्रदर्शनकारी के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया गया है।