दिल्ली में बारिश के कारण मयूर विहार चर्चा में बना हुआ है। यहां आमतौर पर अन्य इलाकों के मुकाबले अधिक बारिश हो रही है। सोमवार को सुबह 8.30 बजे तक पूर्वी दिल्ली के एसपीएस मयूर विहार में 58 मिमी बारिश दर्ज की गई, जबकि शहर के बेस मौसम स्टेशन सफदरजंग में 29.8 मिमी बारिश हुई। यह पहली बार नहीं है कि इस मानसून सीजन में मयूर विहार में अन्य स्टेशनों की तुलना में अधिक बारिश दर्ज की गई है। मौसम विभाग के अधिकारियों ने अधिक बारिश के अंतर के लिए स्थानीय कारणों और वेदर सिस्टम को जिम्मेदार ठहराया।

मयूर विहार में हो रही सबसे अधिक बारिश

शनिवार को दोपहर 2.30 बजे से रात 8.30 बजे तक एसपीएस मयूर विहार में 66 मिमी की भारी बारिश दर्ज की गई थी, जिससे यह उस दिन सबसे अधिक बारिश वाला एकमात्र स्टेशन बन गया। इसके विपरीत सफदरजंग में इसी टाइम के दौरान केवल 16.8 मिमी बारिश दर्ज की गई। 1 अगस्त को मयूर विहार में अधिकतम 147.5 मिमी बारिश दर्ज की गई, जिसमें छह घंटे में 142 मिमी बारिश हुई। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने इसे ‘अत्यंत तीव्र’ बारिश के रूप में वर्गीकृत किया है। इस बीच सफदरजंग में उसी दिन नौ घंटे में 107.6 मिमी बारिश दर्ज की गई।

मौसम विभाग के अधिकारियों ने बताया कि मॉनसून ट्रफ और साइक्लोनिक सर्कुलेशन की स्थिति सहित स्थानीय कारणों की वजह से मयूर विहार में अन्य स्टेशनों की तुलना में अधिक वर्षा हो रही है। आईएमडी के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक आरके जेनामणि ने कहा, “वर्षा का वितरण मानसून गर्त के स्थान और साइक्लोनिक सर्कुलेशन की दिशा जैसे कारणों के आधार पर अलग-अलग होता है। मानसून गर्त के करीबी क्षेत्रों में अधिक वर्षा होती है। स्थानीय टोपोग्राफी भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।”

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जानें IMD के अधिकारी ने क्या कहा

एक अन्य मौसम विभाग के अधिकारी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि रेनफॉल डिस्ट्रीब्यूशन वायुमंडलीय और भौगोलिक स्थितियों के आधार पर अलग-अलग होता है। उन्होंने कहा, “शहरीकरण और ग्रीन कवर सहित स्थानीय कारक बारिश के पैटर्न को प्रभावित करते हैं। हरे-भरे कवर वाले खुले स्थानों में अत्यधिक सघन क्षेत्रों की तुलना में अधिक वर्षा होने की संभावना रहती है। मयूर विहार अपेक्षाकृत हरा-भरा है और यमुना के करीब है।” 26 जुलाई को उत्तरी दिल्ली में रिज ऑब्जर्वेटरी और दिल्ली विश्वविद्यालय में क्रमशः 99 मिमी और 93.5 मिमी की भारी वर्षा देखी गई, जबकि सफदरजंग में 39.4 मिमी की मध्यम वर्षा दर्ज की गई।”

बारिश में इसी तरह का बदलाव 28 जुलाई को देखा गया जब पूसा में 58 मिमी बारिश हुई, जबकि सफदरजंग में कोई बारिश दर्ज नहीं की गई। पूसा में भारी बारिश के कारण आसपास के इलाकों में बाढ़ आ गई और पुराने राजेंद्र नगर में एक कोचिंग सेंटर के बाढ़ वाले बेसमेंट में फंसने से तीन छात्रों की मौत हो गई। आईएमडी के महानिदेशक एम महापात्र ने 29 जुलाई को बताया था कि यह कोई स्थानीय मौसम घटना नहीं थी।