Delhi Violence CAA Protest FIRs: “हम खुद को बचाने के लिए मौके से भाग गए। हमने खुद को छुपा लिया … शटर गिरा दिया।” “हम फोन करने वाले का पता नहीं लगा सके … कोई स्वतंत्र गवाह मौके पर मौजूद नहीं था।” “हम में से तीन ने भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश की, यह असंभव था … उन्होंने हमें पीछे धकेल दिया।” ये दिल्ली पुलिस के बयान हैं जो एफआईआर रिकॉर्ड में शामिल किए गए हैं।

उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक तनाव को लेकर 24 से 26 फरवरी के बीच चार पुलिस स्टेशनों में कम से कम 14 एफआईआर दर्ज किए गए हैं। ये बयान उन्हीं एफआईआर में दर्ज हैं। इंडियन एक्सप्रेस की जांच में पता चला है कि जब एफआईआर दर्ज किए गए थे, उस समय सिर्फ एक मामलों को छोड़कर किसी में भी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई थी।

24 फरवरी को शुरू हुई हिंसा तेजी से दिल्ली के उत्तर-पूर्वी भागों में फैली और इसमें 53 लोगों की मौत हो गई। पुलिस ने इस मामले में 712 एफआईआर दर्ज किए हैं और 200 से ज्यादा आरोपियों को गिरफ्तार किया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि दिल्ली पुलिस ने जिले के बाहर हिंसा नहीं फैलने दी। इसके लिए वे प्रशंसा के पात्र हैं।

खजूरी खास, भजनपुरा, दयालपुर और ज्योति नगर स्टेशनों पर हिंसा की शुरुआती घंटों में दर्ज की गई एफआईआर की जांच से पता चलता है कि पुलिस को 23 फरवरी की रात से ही आभास हो गया था कि स्थिति नियंत्रण से बाहर हो सकती है।

इनमें से एक प्राथमिकी एएसआई हुकुम सिंह ने शेरपुर चौक पर 23 फरवरी को रात 9 बजे भाजपा के कपिल मिश्रा के एक भाषण के बाद दर्ज की थी। एफआईआर में कहा गया है, “मैंने शेरपुर चौक के पास सीएए के समर्थन और उसके विरोध में दोनों समुदायों की भीड़ देखी। एक समुदाय ने कहा कि सीएए देश के खिलाफ है और दूसरे ने नारे लगाए कि यह देश के हित में है। मैंने थानेदार को बुलाया और कहा कि वह फोर्स भेज दें। उन्होंने पंजाब चिकन की दुकान को भी आग लगा दी। चांदबाग पुलिया के पास मुंगा नगर में भीड़ फिर से इकट्ठा हो गई और एक-दूसरे पर पथराव शुरू कर दिया। हम पुलिया के पास पहुंचे और भीड़ को खदेड़ दिया।”

एक अन्य प्राथमिकी एएसआई विजयंत कुमार ने वजीराबाद रोड पर 23 फरवरी को रात 9 बजे दंगे की एक घटना दर्ज की थी। एफआईआर में कुछ विशेष लोगों पर आरोप लगाए गए थे, हालांकि दोनों एफआईआर में किसी भी गिरफ्तारी का कोई जिक्र नहीं है। कई एफआईआर में बताया गया है कि पुलिस ने खुद को कितना असहाय पाया। इसमें बताया गया कि उनके पास पर्याप्त संख्या में जवान नहीं थे।

खजूरी खास में ई ब्लॉक में सिर्फ दो अधिकारियों के साथ ड्यूटी पर तैनात कांस्टेबल संग्राम सिंह द्वारा 25 फरवरी को दर्ज की गई एक प्राथमिकी में शेरपुर चौक पर भीड़ द्वारा आगजनी और पथराव के बारे में बताया गया है। एफआईआर में कहा गया है, “इतनी बड़ी भीड़ को नियंत्रित करना असंभव था… हम खुद को बचाने के लिए मौके से भाग गए। हमने खुद को प्रदीप की पार्किंग के पास छिपाया और शटर गिरा दिया।”

उसी एफआईआर में सिंह का दावा है कि छिपते समय उन्होंने आप के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन की छत पर एक “भीड़” देखी, जिसे आईबी के कर्मचारी अंकित शर्मा की हत्या में एक आरोपी के रूप में नामित किया गया है। सिंह ने प्राथमिकी में दावा किया है कि वे प्रदीप की छत की ओर पत्थर फेंक रहे थे। उन्होंने कहा कि वह भीड़ से कुछ लोगों की पहचान कर सकते हैं।

एफआईआर में यह भी कहा गया है, “हम तीनों ने भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश की। इतनी बड़ी भीड़ को नियंत्रित करना असंभव था … हमें बहुत सारे पीसीआर कॉल आ रहे थे। हमारे जवानों ने भी भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने हमें पीछे धकेल दिया।”

खजूरी खास स्टेशन पर 25 फरवरी को रात 11.25 बजे दर्ज एक अन्य प्राथमिकी में कांस्टेबल खालिक ने कहा कि वह “चार अधिकारियों और एसएचओ” के साथ ड्यूटी पर थे। प्राथमिकी में कहा गया है कि एसएचओ ने “भारी भीड़” को तितर-बितर करने की कोशिश की लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। प्राथमिकी में कहा गया है कि दोपहर के समय, “चांद बाग से सीएए-एनआरसी प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया”, “लगभग 1,200 लोगों ने पुलिस पर हमला किया”, “कुछ लोगों ने भीड़ को उकसाया”, और भीड़ ने “भजनपुरा बूथ को आग लगा दी”। पुलिस ने एफआईआर के आधार पर चार आरोपियों – मुसकीम, सरफराज, अमन और इकराम को गिरफ्तार किया है।