दिल्ली में छह साल से दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के बेड़े में एक भी नई बस शामिल नहीं हुई है। कम होती बसों की संख्या ने सुबह व शाम के व्यस्त समय में यात्रियों की परेशानियां बढ़ा दी है।
हालत यह है कि पुरानी बसें अपनी तय किलोमीटर पूर्ण कर मार्गों से हटती जा रही हैं और अब डीटीसी के बेड़े में बसों की संख्या घटकर 3762 के करीब रह गई है। सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में यह रिपोर्ट सामने आई है।
रिपोर्ट में सितंबर 2020 तक के हालत डीटीसी ने बयां किए हैं। इस मामले में लाजपत नगर के अभिषेक दत्त ने डीटीसी से यह जानकारियां मांगी थी। जवाब डीटीसी कार्यालय सिंधिया हाउस से भेजा गया है और जवाब में यह भी सामने आया है कि 2004 के बाद से दिल्ली में कितनी बसों की संख्या कम हुई है, उसकी जानकारी ही विभाग के पास उपलब्ध नहीं है।
आरटीआइ के जवाब में दिल्ली सरकार के फैसले के मुताबिक, वर्तमान में दिल्ली को करीब 11 हजार बसों की आवश्यकता है। इन बसों में 50-50 फीसद डीटीसी व कलस्टर का अनुपात तय किया गया है ताकि सार्वजनिक परिवहन को बेहतर तरीके संचालित किया जा सके। इस हिसाब से दिल्ली में डीटीसी के पास 5500 बसों की आवश्यकता है और डीटीसी इस समय 3762 बसों का संचालित कर रहा है।
बताया गया है कि नई बसों को डीटीसी ने निविदा प्रक्रिया शुरू की है। इस मामले में भाजपा प्रवक्ता हरीश खुराना ने ‘आप’ सरकार को घेरा है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि सरकार खुद ही मान रही है कि पिछले 6 सालों में डीटीसी ने एक भी बस नहीं खरीदी।
जबकि केंद्र सरकार ने 2017 में 300 बस और अब 1000 बसों की खरीद के लिए धनराशि की अनुमति दी है। उन्होंने सीएमओ दिल्ली को टैग करते हुए कहा कि अगर आपकी बस वाली कंपनी से सेटिंग हो गई है तो अब तो बस खरीद लो।