दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां पर एक आरोपी डॉक्टर ने अदालत के अंदर ही चावल फैला दिए। हालांकि बाद उसे माफी मांगनी पड़ी और 2 हजार का जुर्माना भी लगाया गया। सोमवार सुबह करीब 11 बजे 14 साल पुराने एक हत्या के मामले में आरोपी एक डॉक्टर तीस हज़ारी कोर्ट की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (ASJ) शेफाली बरनाला टंडन की अदालत में दाखिल हुआ। कार्रवाई चल रही थी, तभी अदालत के कर्मचारियों ने कुछ गड़बड़ होने का आभास पाकर जज को बताया कि आरोपी डॉक्टर चंदर विभास ने मंच के नीचे जमीन पर कुछ चावल फेंके थे।
डॉक्टर ने कोर्ट में फेंके चावल
जब अदालत ने उससे पूछताछ की, तो डॉक्टर ने बताया कि उसके हाथों में चावल के कुछ दाने गिर गए थे। हालांकि वह यह नहीं बता पाया कि उसके हाथ चावल से भरे क्यों थे। अदालत के कर्मचारियों ने जज को बताया कि यह कोई अकेली घटना नहीं है और 2 अगस्त को भी अदालत के फर्श पर चावल के कुछ दाने मिले थे।
काले जादू का शक
आरोपी ने जज को बताया कि वह 2 अगस्त को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुआ था। अदालत के रीडर ने तुरंत ऑर्डर शीट खोली और उसका झूठ पकड़ लिया और वह वास्तव में अदालत में मौजूद था। कमरे में मौजूद वकील कथित तौर पर काले जादू के संदेह में घबरा गए थे और उन्होंने अदालत से चावल साफ करवाने का अनुरोध किया। लगभग 15 मिनट तक अदालती कार्रवाई रुकी रही। फर्श साफ होने के बाद कार्रवाई फिर से शुरू हुई।
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11 अगस्त के अपने आदेश में अतिरिक्त सत्र जस्टिस टंडन ने कहा, “अदालत के लिए यह बेहद चौंकाने वाला और आश्चर्यजनक है कि आरोपी डॉक्टर , जो पेशे से सर्जन बताए जाते हैं और शिक्षित हैं, उन्होंने इस तरह का अनुचित व्यवहार किया और अदालती कार्यवाही में बाधा उत्पन्न की।” अदालत ने आरोपी के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 267 (न्यायिक कार्यवाही में बैठे किसी लोक सेवक का जानबूझकर अपमान या व्यवधान) के तहत अपराध का भी संज्ञान लिया।
अदालत ने लगाया जुर्माना
जस्टिस ने आगे कहा, “अदालत के प्रति अनादर या न्यायिक कार्यवाही में व्यवधान एक गलत सार्वजनिक संदेश भेजता है और आरोपी के आज के इस तरह के खुले तौर पर किए गए कृत्य/व्यवहार ने न केवल अदालती कार्रवाई को बाधित किया और न्यायिक प्रक्रिया को कमजोर किया, बल्कि हमारी न्याय व्यवस्था की नींव को भी खतरे में डाला।” इसके बाद आरोपी ने अदालत के सामने घुटने टेककर माफ़ी मांगी। जस्टिस टंडन ने कहा कि वह अंतिम आदेश पारित करने से पहले डॉक्टर के वकील का इंतज़ार करेंगी।
दोपहर में आरोपी की ओर से वकील सोनम गुप्ता अदालत में पेश हुईं। उन्होंने कहा कि आरोपी को पछतावा हो रहा है और भविष्य में ऐसा कृत्य दोबारा नहीं होगा। उन्होंने दलील दी कि डॉक्टर को किसी ने गुमराह किया था। जस्टिस ने अपने आदेश में कहा, “आरोपी द्वारा मांगी गई माफ़ी और उसके पश्चाताप सहित सभी तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करने के बाद उसे अदालत उठने तक कारावास और 2,000 रुपये का जुर्माना राज्य सरकार के पास जमा करने की सजा सुनाई जाती है।”