देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण से तो वैसे ही लोगों की हालत खराब है। इस बीच दिल्ली में पानी की कमी के कारण भी लोग परेशान हैं। साउथ और सेंट्रल दिल्ली के कई इलाकों में पानी की कमी है और यह 1 नवंबर तक रहेगी। दिल्ली के दो वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में मरम्मत का काम चल रहा है और यमुना में प्रदूषण के कारण पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है।

साउथ और सेंट्रल दिल्ली में पानी की कमी

दिल्ली के लाजपत नगर, मयूर विहार, लक्ष्मी नगर, प्रीत विहार, ग्रेटर कैलाश, वसंत कुंज, कालकाजी, अमर कॉलोनी, पंचशील पार्क, सरिता विहार, मालवीय नगर, गीतांजलि एनक्लेव समेत कई इलाकों में पानी की कमी है। यह सभी इलाके न्यू दिल्ली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के अंदर आते हैं।

दिल्ली जल बोर्ड (DJB) के अनुसार भागीरथी और सोनिया विहार वाटर ट्रीटमेंट प्लांट (WTP) केवल 30% क्षमता पर काम कर रहे हैं और उन्हें अस्थायी रूप से यमुना पर निर्भर रहना पड़ता है। हालांकि यमुना में अमोनिया का स्तर बढ़कर 1.5 पार्ट प्रति मिलियन (पीपीएम) से अधिक हो गया है। 110 मिलियन गैलन प्रति दिन (MGD) और 140 MGD की क्षमता के साथ भागीरथी और सोनिया विहार डब्ल्यूटीपी गंगा और यमुना दोनों नदियों के पानी का प्रोसेस करते हैं।

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DJB का आया बयान

डीजेबी के अनुसार 21 अक्टूबर तक ऊपरी गंगा नहर के विभिन्न स्थानों पर तालाब बनाकर गंगा जल प्राप्त किया जाना था। हालांकि उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग द्वारा निर्धारित वार्षिक रखरखाव कार्य के कारण गंगा से आपूर्ति बाधित हो गई थी। तब डब्ल्यूटीपी को 31 अक्टूबर की आधी रात तक कच्चे पानी के वैकल्पिक स्रोत के लिए यमुना नदी पर निर्भर होना पड़ा। लेकिन यमुना में अमोनिया की अधिक मात्रा थी।

जल प्राधिकरण ने कहा, “भागीरथी और सोनिया विहार में उत्पादन क्षमता का 30% तक कम कर दिया गया है। इसके अलावा उत्पादन पूरी तरह से यमुना में कच्चे पानी की गुणवत्ता पर निर्भर करेगा। इन संयंत्रों से उत्पादन अलग-अलग होगा।”

इस बीच डीजेबी के उपाध्यक्ष विनय मिश्रा ने औद्योगिक कचरे के कथित निर्वहन के लिए हरियाणा सरकार को दोषी ठहराया। दिल्ली सरकार जल्द ही हरियाणा सरकार से बात करेगी और इस मुद्दे का समाधान करेगी ताकि दिल्लीवासियों को साफ पानी मिल सके। साथ ही अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए उचित निर्देश दिए गए कि जब पानी की गुणवत्ता में सुधार हो, तो वाटर ट्रीटमेंट प्लांट 100% क्षमता पर काम करे।

दिल्ली सरकार ने यमुना में अमोनिया के स्तर में वृद्धि के लिए हरियाणा और उत्तर प्रदेश से औद्योगिक वेस्ट डिस्चार्ज को जिम्मेदार ठहराया, जिसके कारण अब जल उत्पादन में 30% की कमी आई है। सरकार ने कहा, “अमोनिया स्पाइक्स का बार-बार पता चला है, विशेष रूप से इस साल जनवरी और फरवरी में, जिससे उत्पादन प्रभावित हुआ है, खासकर वज़ीराबाद डब्ल्यूटीपी में। हाल ही में अमोनिया की मात्रा 0.9 पीपीएम तक पहुंच गई, जिससे पानी का ट्रीटमेंट मुश्किल हुआ और डब्ल्यूटीपी संचालन सीमित हो गया।”