दिल्ली हिंसा के दौरान मंगलवार की दोपहर करावल नगर के महालक्ष्मी विहार इलाके में कुछ दंगाई एक मुस्लिम महिला के घर में घुस आए। गर्भवती शबाना ने उस भीड़ से निवेदन किया कि वे उसे ना मारें क्योंकि वह गर्भवती है। लेकिन दंगाई नहीं माने और उन पर लाठियां बरसाना शुरू कर दिया। अल-हिंद अस्पताल में भर्ती शबाना ने बताया “भीड़ ने मुझे लाठियों से पीटा… कुछ ने मेरे पेट पर लाट भी मारी।” शबाना ने आगे बताया कि भीड़ कुछ समय के बाद रुक गई और घर में तोड़फोड़ कर चली गई।
बुधवार की रात शबाना ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। जिसका वजन 3.5 किलोग्राम था, और उसका नाम “आज़ाद” या “सोनू” रखा जाएगा। शबाना ने कहा कि हमले के बाद उनके पड़ोसी संजीव ने मंगलवार को उन्हें बाइक से ओल्ड मुस्तफाबाद छोड़ दिया। उनके पीछे-पीछे उनका बाकी परिवार दो बच्चों, सास और अन्य रिश्तेदार भी वहीं आ गए। शबाना की रिश्तेदार शमा ने कहा “हम यहां एक रिश्तेदार के घर पर रुके और शबाना को हमने उनकी माँ के घर नांगलोई में छोड़ने का फैसला किया, ताकि वह अपने बच्चे को वहां जन्म दे सके। एक पुलिस कर्मी हमें यमुना विहार तक छोड़ने को तैयार हो गए। लेकिन तभी शबाना को लेबर पेन होने लगा इसलिए हमने जल्दी से उसे अल-हिंद अस्पताल में पहुंचा दिया।”
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शबाना का इलाज करने वाले डॉक्टर ने कहा कि यह एक कॉम्प्लिकेटेड डिलीवरी थी क्योंकि शबाना के पास कोई मेडिकल हिस्ट्री नहीं थी क्योंकि उनके सभी कागजात दंगों में जल गए थे। वह अब बेहतर है, लेकिन वह उदास और परेशान है और जिसके चलते उनके बीपी में उतार-चढ़ाव हो रहा है।
शबाना के पति को सूचित कर दिया गया है कि उन्हें एक बच्चा हुआ है। वह यहां आने में असमर्थ है। शबाना के चाचा मुजीब-उर-रहमान ने कहा, “वह लोनी की ओर भागा था और वहाँ का माहौल थोड़ा तनावपूर्ण है, इसलिए हमने उन्हें बाद में आने की सलाह दी है।” रहमान भी संजीव की मदद से भागने में सफल रहे।
शबाना के पहले बेटे अली ने नवजात शिशु के चेहरे पर आश्चर्य से देखा, जबकि शबाना ने अपनी सास से पूछा कि क्या उनके जले हुए घर से कुछ भी मिला। उसने कहा “अब मैं अपने नवजात शिशु और अपने दो लड़कों के साथ कहां जाऊँगी? सब तो खत्म कर दीया। कभी नहीं सोचा था ये इतने दहशत के माहौल में जन्म लेगा।”