दिल्ली हाई कोर्ट ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में साम्प्रदायिक हिंसा से जुड़े एक मामले में महिला संगठन ‘पिंजरा तोड़’ की एक सदस्य को मंगलवार (1 सितंबर, 2020) को जमानत दे दी। जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने जेएनयू कीछात्रा देवांगना कलिता को 25,000 रुपए के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। अदालत ने उन्हें गवाहों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर प्रभावित करने और सबूतों के साथ छेड़छाड़ ना करने का निर्देश दिया।
फरवरी में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शनों के दौरान उत्तर पूर्व दिल्ली में भड़की सांप्रदायिक हिंसा से जुड़े एक मामले में दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने मई में नताशा नरवाल के समूह की कलिता और अन्य सदस्यों को मई में गिरफ्तार किया था। उन पर दंगा करने, गैरकानूनी तरीके से जमा होने और हत्या की कोशिश करने सहित भादंवि की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।
Weather Forecast Today Live Updates
कलिता पर दिसम्बर में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान पुरानी दिल्ली के दरियागंज इलाके में हुई हिंसा और उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगे सहित कुल चार मामले दर्ज हैं। उत्तरपूर्वी दिल्ली में 24 फरवरी को सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे। इन दंगों में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 200 लोग घायल हो गए थे। देवांगना कलिता की जिस मामले में जमानत हुई वो मामला 26 फरवरी को जाफराबाद में हुई हिंसा से जुड़ा है।
अपने फैसले में कोर्ट ने कहा, ‘विरोध-प्रदर्शन के दौरान देवांगना कलिता द्वारा दिया गए भाषण से कहीं नहीं लगता कि इससे एक समुदाय की महिलाएं भड़की हो। वो एक शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन था। ये हर किसी का संवैधानिक अधिकार है। देवांगना को जमानत देने से जांच पर असर नहीं पड़ेगा। उन्हें जमानत देकर उत्पीड़न और गैर जरूरी हिरासत से बचाया जा सकता है। विरोध प्रदर्शन के दौरान मीडिया और पुलिस के कैमरे थे और ऐसा कहीं से नहीं लगता कि उनकी वजह से हिंसा हुई। (एजेंसी इनपुट)
