दिल्ली में प्रदूषण की वजह से जमीन पर स्थिति विस्फोटक बनती जा रही है। पहले जो धुंआ सिर्फ कुछ इलाकों तक सीमित दिखाई दे रहा था, अब पूरे दिल्ली-एनसीआर में एक काली धुंध छाई हुई है। ये धुंध असल में वो जहरीली हवा है जिसने सभी का जीना इस समय दुश्वार कर दिया है। दिल्ली में तो स्थिति की गंभीरता को समझते हुए केजरीवाल सरकार ने दो दिन के लिए प्राइमरी स्कूलों के बंद रहने का आदेश भी सुना दिया है।
जारी आदेश में क्या कहा गया?
असल में जारी आदेश में कहा गया है कि दिल्ली में तीन और चार नवंबर को सभी प्री स्कूल, प्री प्राइमरी स्कूल बंद रहने वाले हैं। यहां ये समझना जरूरी है कि ये आदेश पांचवी क्लास तक के छात्रों पर लागू होने वाला है। अब सरकार को ये फैसला इसलिए लेना पड़ा क्योंकि बढ़ते प्रदूषण का असर समाज के दो वर्गों पर सबसे ज्यादा पड़ता है। एक रहे बुजुर्ग तो दूसरे रहे छोटे बच्चे। इसी वजह से सरकार को स्कूल बंद करने का आदेश देना पड़ा है। जानकारी के लिए बता दें कि दोनों प्राइवेट सरकारी स्कूल अगले दो दिनों तक बंद रहने वाले हैं।
कई जगहों पर प्रदूषण का खतरनाक स्तर
वैसे ये फैसला उस समय हुआ है जब दिल्ली के कई इलाकों में AQI 700 को भी पार कर गया है, वहीं एनसीआर में आनंद विहार में तो दोपहर के समय आंकड़ा 999 तक जा पहुंचा था। चिंता की बात ये है कि अभी दिवाली दूर है, यानी कि कोई पटाखे नहीं जल रहे हैं। ऐसे में पराली और दूसरे कारणों की वजह से लगातार प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। अब इसी स्थिति को देखते हुए ग्रैप की तीसरी स्टेज भी दिल्ली में सख्ती से लागू कर दी गई है।
ग्रैप 3 स्टेज में क्या होता है?
स्टेज 3 के तहत अब रोज सड़कों की सफाई होगी। पानी का छिड़काव भी लगातार किया जाएगा। अस्पताल, मेट्रो जैसी सर्विस को छोड़कर दिल्ली एनसीआर में कंस्ट्रक्शन को पूरी तरह बंद कर दिया जाएगा। बड़ी बात ये रहेगी कि जो भी फैक्ट्रियां ईंधन पर नहीं चलेंगी, उन्हें बंद कर दिया जाएगा। माइनिंग भी राजधानी में कुछ समय के लिए बंद रहेगी। जानकारी के लिए बता दें कि वायु गुणवत्ता सूचकांक के आधार पर जीआरएपी को चार चरणों में वर्गीकृत किया गया है। पहला चरण एक्यूआई 201 से 300 (खराब), दूसरा चरण एक्यूआई 301 से 400 (बहुत खराब), तीसरा चरण एक्यूआई 401 से 450 (गंभीर) और चौथा चरण एक्यूआई 450 (अति गंभीर) होने पर लागू किया जाता है।
अब इतना सबकुछ इसलिए करना पड़ रहा है क्योंकि बढ़ते प्रदूषण का असर आम लोगों की सेहत पर काफी ज्यादा पड़ रहा है। सिर्फ सांस लेने में तकलीफ नहीं हो रही है, बल्कि इसके अलावा कई दूसरी बीमारियों का भी सामना करना पड़ रहा है।
दिल्ली में प्रदूषण का सबसे बड़ा विलेन कौन?
असल में राजधानी दिल्ली में ट्रैफिक एक पुरानी और जटिल समस्या है। घंटों ट्रैफिक में फंसे रहना एक मिडिल क्लास की जिंदगी के साथ जुड़ चुका है। अब एक आम आदमी का तो इस ट्रैफिक की वजह से बस समय बर्बाद होता है, ज्यादा से ज्यादा वो देर से ऑफिस या घर पहुंचता है। लेकिन इस बात का अहसास शायद अभी तक नहीं हो पा रहा है कि यही ट्रैफिक बढ़ते प्रदूषण का भी एक कारण बन रहा है। असल में जब भी कोई गाड़ी चलती है, उससे हानिकारक गैस निकलती हैं जिसे तकनीकी शब्दों में vehicular emission कहा जाता है। अब होता ये है कि ट्रैफिक के समय गाड़ी की रफ्तार और धीमी हो जाती है, लोगों की जैसी आदत है, वे अपनी कार उस समय ऑफ भी नहीं करते। ऐसे में लगातार गाड़ियों से हानिकारक गैस निकलती रहती हैं, जिससे वातावरण में नाइट्रोजन की लेवल बढ़ जाती है। ये नाइट्रोजन ही बाद में प्रदूषण को और ज्यादा बढ़ाने का काम करता है।
इसी कड़ी में Centre for Science and Environment (CSE) की पिछले साल की एक रिपोर्ट बताती है कि राजधानी में जब भी PM2.5 का लेवल ज्यादा रहता है, वहां भी गाड़ियों की वजह से सबसे ज्यादा 17 फीसदी प्रदूषण फैलता है। इसके ऊपर जैसी ट्रैफिक की स्थिति यहां रहती है, वो हालत और ज्यादा विस्फोटक बन जाते हैं।