दिल्ली देहात पर अनधिकृत कॉलोनियां भारी पड़ गईं। यहां की जनता के वोट से ही अरविंद केजरीवाल की सरकार ने एकतरफा जीत पाई। त्रिलोकपुरी, पटपड़गंज, संगम विहार, देवली, आंबेडकर नगर, मुंडका, नरेला, नांगलोई, सुलतानपुर माजरा, शकूरबस्ती, किराड़ी, बाबरपुर, बुराड़ी, वजीरपुर आदि इलाकों के लोगों पर ‘जन की बात’ को तरजीह मिली। यह अनायास नहीं है। क्योंकि केजरीवाल सरकार की राहत वाली योजनाओं (बिजली, पानी, मुफ्त बस, मोहल्ला क्लीनिक आदि) से यह तबका सीधे तौर पर प्रभावित होता रहा है। इन इलाको में रहने वाले मध्यम और निम्न वर्ग के प्रवासियों, रेहड़ी पटरी पर आजीविका व कामकाजी मतदाताओं ने केजरीवाल पर ज्यादा भरोसा किया। उन्हें आतंकवादी मानने से इनकार कर दिया। वे केजरीवाल की ईमानदारी और बेहतरी के लिए काम करने की उनकी इच्छाशक्ति के साथ मजबूती से खड़े रहे।
मतगणना जैसे शुरूहुई, दिल्ली कीआधे से अधिक सीटों पर भाजपा ने बढ़त बनाई। आप की पक्की माने जाने वाली सीटों पर भी पहले और दूसरे दौर के रुझान से भाजपा खेमा प्रसन्न था। लेकिन मतगणना में जैसे-जैसे अनधिकृत कॉलोनियां और झुग्गी-झोपड़ियों के बूथ वाले ईवीएम के आंकड़े सामने आने शुरूहुए, वैसे-वैसे आप की झाडू़ भाजपा के कमल पर भारी पड़ती गई। पटपड़गंज विधानसभा और शकूरपुर बस्ती वाली सीट पर आखिरी क्षण में फैसला अनधिकृत कॉलोनिया के ईवीएम से ही हुआ। दिल्ली में भाजपा के बड़े नेताओं को लगा कि जब वे आम आदमी की सरकार के रियायत वाली राजनीति को वे अनधिकृत कॉलोनिया में नहीं दबा पाएंगे तो उन्होंने दिल्ली देहात पर फोकस किया।
भाजपा का काडर, व्यवसायी और वोटर पार्टी के साथ हैं। लिहाजा केवल उन उन इलाकों पर केंद्रित प्रचार हो, जहां बिजली,पानी, फ्री बस आदि का कम असर हो। दिल्ली देहात के क्षेत्र में राष्ट्रवाद के मुद्दे का जोर-शोर से प्रचार किया गया था। इसी कड़ी में दिल्ली देहात व बाहरी दिल्ली के कद्दावर नेता प्रवेश वर्मा को आगे किया गया। उनके विवादित बोल चुनाव में चर्चा के केंद्र भी बने रहे। लेकिन इसका अनधिकृत कॉलोनियों पर असर नहीं पड़ा। त्रिनगर और शालीमार बाग सीटें भी आम आदमी पार्टी के खाते में गई हैं। यहां की जनता ने नफरत भरे भाषणों को नकार दिया। अनधिकृत कॉलोनिया व जेजे क्लस्टर, सुधार कैंपों के लोगों ने उनको वोट दिया जिन्होंने उनकी सुध ली।
जीत का अंतर बढ़ा
कई इलाकों में आप को भाजपा या उसके सहयोगी दलों की तुलना में मिले वोटों के फीसद का अंतर 60 से 80 फीसद ज्यादा था। मसलन बादली में भाजपा को 28 फीसद वहीं आप ने 50 फीसद वोट पाए। संगम विहार में भाजपा के सहयोगी को 28 फीसद, वहीं आप ने 65 फीसद वोट पाए। अंबेडकर नगर में भाजपा को 34 फीसद, वहीं आप को 63 फीसद वोट हासिल हुए। तिमारपुर में भाजपा को 38 तो आप को 58 फीसद वोट मिले। बुराड़ी में तो विजित और पराजित का फीसद में अंतर तीन गुना दर्ज हुआ। यहां भाजपा के सहयोगी को महज 22 फीसद वोट मिले, वहीं आप को 63 फीसद वोट हासिल हुए। यही स्थिति तमाम अनधिकृत कॉलोनियां और झोपड़ियों वाले इलाकों में रहीं।