दिल्ली में सात फरवरी को विधानसभा चुनाव कराए जाएंगे और वोटों की गिनती दस फरवरी को होगी। चुनाव आयोग ने सोमवार को यह घोषणा की। इस एलान के साथ ही दिल्ली में चुनाव आचार संहिता लागू हो गई है। फिलहाल दिल्ली में राष्ट्रपति शासन है।

मुख्य चुनाव आयुक्त वीएस संपत ने यहां एक प्रेस कांफ्रेंस में चुनाव कार्यक्रमों की घोषणा करते हुए कहा कि 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए अधिसूचना 14 जनवरी को जारी की जाएगी। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 21 जनवरी होगी । इसके अगले दिन नामांकन पत्रों की जांच होगी और 24 जनवरी तक नाम वापस लिए जा सकेंगे। इस मौके पर चुनाव आयुक्त एचएस ब्रह्मा और नसीम जैदी भी मौजूद थे।

मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि मतदान सात फरवरी को होगा और मतगणना दस फरवरी को कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि दिल्ली की संशोधित मतदाता सूची का प्रकाशन पांच जनवरी को हो चुका है और यहां कुल 13085251 मतदाता हैं। मतदाता सूचियों में 120605 नाम एक से ज्यादा बार पाए गए हैं। चुनाव आयोग ने 89017 प्रविष्टियों को सुधार दिया है और अंतिम रूप से प्रकाशित मतदाता सूची में उसे प्रकाशित कर दिया गया है । बाकी का प्रकाशन नामांकन के अंतिम दिन अनुपूरक सूची में किया जाएगा । 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा की 12 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं।


यहां एक करोड़ तीस लाख से ज्यादा मतदाता हैं। मतदान के लिए 11763 मतदान केंद्र स्थापित किए जाएंगे। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि दिल्ली विधानसभा को भंग करने के राष्ट्रपति के आदेश की मियाद 15 फरवरी को समाप्त हो रही है और जनादेश को बहाल करने के लिए चुनाव आयोग ने चुनाव कराने का निर्णय किया है जहां परिणाम पंद्रह फरवरी से पहले आ जाएंगे। एक सवाल के जवाब में संपत ने कहा कि इस अवधि के दौरान चूंकि देश के किसी अन्य भाग में चुनाव नहीं हो रहा है, इसलिए सभी राजनीतिक दलों का फोकस दिल्ली के विधानसभा चुनाव पर होगा, लिहाजा यहां धुआंधार राजनीतिक प्रचार होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने दिल्ली में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए पूरे उपाय किए हैं और धनबल के इस्तेमाल को रोकने के लिए सभी उपाय किए जाएंगे।

चुनाव की घोषणा और नामांकन की तिथि के बीच एक महीने का भी समय नहीं दिए जाने के बारे में पूछने पर संपत ने कहा कि तीन सप्ताह की अधिकतम सीमा है। लेकिन इस अवधि को घटाकर दो हफ्ता या एक हफ्ता भी किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ज्यादा समय देना जरूरत से ज्यादा कवायद होगी क्योंकि लोग लंबे समय से चुनावों का अनुमान लगा रहे थे।

चुनाव आयुक्त ब्रह्मा ने कहा कि चुनाव के लिए प्रचार पंद्रह दिन पहले ही श्ुारू हो गया था और इसलिए प्रचार के लिए अब और ज्यादा समय की जरूरत नहीं है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि चूंकि दिल्ली एक महानगर है इसलिए आयोग चुनाव में धनबल के इस्तेमाल पर अतिरिक्त सावधानी बरतेगा और पर्याप्त संख्या में खर्च पर्यवेक्षकों को तैनात किया जाएगा। यह पूछने पर कि क्या आटोरिक्शा पर चुनावी विज्ञापन की इजाजत होगी, उन्होंने कहा कि यह मामला अदालत में लंबित है। उन्होंने यह भी बताया कि नई दिल्ली और छावनी निर्वाचन क्षेत्र में वीवीपीएटी यानी वोटर वेरिफायबल पेपर आडिट ट्रेल की व्यवस्था लागू की जाएगी।

दिल्ली में पिछला विधानसभा चुनाव दिसंबर 2013 में हुआ था। लेकिन इस चुनाव में किसी को बहुमत नहीं मिला । 31 सीटों के साथ भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी को 28 सीटें मिली थीं। कांग्रेस को मात्र आठ सीटें हासिल हुई थीं। आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई, लेकिन यह सरकार 49 दिन ही चली और केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया था।