प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में हर शख्स पर नजर रखी गई थी। रैली में आई भीड़ के हर चेहरे को पुलिस ठीक से पहचान सके इसके लिए Automatic Facial Recognition Software (AFRS) तकनीक का इस्तेमाल किया गया था। इस तकनीक के जरिए डेढ़ लाख चेहरों का मिलान किया गया। दरअसल 22 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में रैली की थी। इसी रैली में उन्होंने कहा था कि एनआरसी को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है। जानकारी के मुताबिक यह पहली ऐसी राजनीतिक रैली थी जिसमें पुलिस ने AFRS तकनीक का इस्तेमाल किया था।
रैली के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए दिल्ली पुलिस ने पहली बार फुटेज के जरिए मिले उन चेहरों का मिलान किया था जो दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में शामिल हुए थे। दरअसल दिल्ली पुलिस ने साल 2018 में सबसे पहले AFRS तकनीक लिया था। उस वक्त दिल्ली हाईकोर्ट ने गुमशुदा बच्चों को खोजने से संबंधित एक आदेश दिल्ली पुलिस को दिया था। जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने गुमशुदा बच्चों और तलाश के दौरान मिले बच्चों के चेहरे को मिलाने के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल किया था। 22 दिसंबर से पहले इस तकनीक का तीन बार इस्तेमाल किया जा चुका है। दो बार स्वतंत्रता दिवस के मौके पर तथा एक बार गणतंत्र दिवस के मौके पर।
प्रधानमंत्री की रैली में आने वाले लोगों को कड़ी सुरक्षा जांच से गुजरना पड़ा। पुलिस जहां एक तरफ इस रैली में आने वालों की मेटल डिटेक्टर से जांच कर रही थी तो वहीं रैली स्थल पर बनाए गए कंट्रोल रूम के जरिए facial dataset से भी चेहरों का मिलान कर रही थी।
सूत्रों के मुताबिक दिल्ली पुलिस ने करीब डेढ़ लाख हिस्ट्री शीटर्स की फोटो डेटा सेट तैयार की है। इसके जरिए वो इन अपराधियों पर नजर रखती है। इसके अलावा एक और डेटासेट बनाया गया है जिसमें 2,000 संदिग्ध आंतकवादियों की तस्वीरें हैं। ये चेहरे किसी भी बड़े आयोजन में शामिल होकर कुछ गड़बड़ी ना फैला दें इसके लिए पुलिस समय-समय पर अपनी जांच करती रहती है।
एनआरसी और नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में चल रहे प्रदर्शन पर नजर रखने के लिए भी पुलिस Automatic Facial Recognition Software का इस्तेमाल कर रही है। यहीं वजह है कि वो कई बार प्रदर्शन कर रही भीड़ को वीडियो कैमरे में कैद करती हुई भी नजर आई। पुलिस कैमरे में कैद लोगों के तस्वीरों का मिलान करती है और यह पता लगाती है वो कौन-कौन से चेहरे हैं जो अक्सर प्रदर्शन में नजर आते हैं और उन्होंने इस दौरान क्या कुछ गड़बड़ियां फैलाई।
Indian Express के ईमेल का जवाब देते हुए दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता ने कहा कि ‘इस तकनीक के जरिए स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के मौके पर सुरक्षा की तैयारी मुकम्मल करने पर फोकस था। संदिग्ध आतंकियों का डेटा सेट बनाया गया है। इसके अलावा हम कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए भी इस तकनीक का इस्तेमाल करते हैं।
आपराधिक रिकॉर्ड रखने वाले लोग कानून-व्यवस्था के लिए खतरनाक होते हैं। दिल्ली में हुए प्रदर्शन के दौरान वीडियोग्राफी कराई गई ताकि वैसे चेहरों और उनके व्यवहार के बारे में जानकारी मिल सके जो कानून व्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती बन सकते हैं। रविवार को पीएम की रैली के दौरान इंटेलिजेंस इनपुट मिली थी कि रैली में कुछ लोग गड़बड़ कर सकते हैं जिसक बाद इस डाटा सेट का इस्तेमाल किया गया था।’
