#MeToo अभियान के दौरान पूर्व केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वालीं पत्रकार प्रिया रमानी को मानहानि मामले में जमानत मिल गई है। सोमवार (25 फरवरी, 2019) को वह दिल्ली स्थित पटियाला हाउस कोर्ट में हाजिर हुईं। कोर्ट ने उन्हें 10 हजार रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दी। अब मामले की अगली सुनवाई 8 मार्च को होगी।
जमानत मिलने पर उन्होंने पत्रकारों से कहा, “10 अप्रैल को मेरे खिलाफ आरोप तय होंगे। उसके बाद मेरी बारी आएगी, जिसमें मैं अपनी बात रखूंगी। तब सच ही मेरा बचाव होगा।” कोर्ट ने इससे पहले उन्हें मानहानि मामले में समन भेजा था, जिसमें उन्हें आरोपी बताया गया था।
अकबर पर रमानी समेत तकरीबन 20 महिला पत्रकारों ने यौन शोषण के आरोप लगाए हैं, जिसके बाद उन्होंने मंत्री पद छोड़ दिया था। 17 अक्टूबर, 2018 को केंद्रीय कैबिनेट से अकबर ने इस्तीफा दे दिया था। उस वक्त उन्होंने कहा था कि वह इसका जवाब कानूनी तरीके से देंगे।
रमानी के आरोपों पर अकबर ने उनके खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था, जिसके बाद एडिश्नल चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने पत्रकार को समन भेजा था। रमानी ने जवाब में एक ट्वीट कर कहा था- “अब मेरा पक्ष रखने की बारी है।”
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अकबर के कानूनी सलाहकारों की टीम में वरिष्ठ वकील गीता लूथरा और संदीप कपूर हैं। उन्होंने कोर्ट में दावा किया कि रमानी ने अकबर पर झूठे, गलत और आधारहीन आरोप लगाए, जिनसे पूर्व मंत्री की छवि को खासा नुकसान पहुंचा।
रमानी के अलावा अकबर पर अमेरिका में रहने वाली पत्रकार ने भी आरोप लगाए थे। वहीं, अकबर ने कहा था कि उनके बीच तब जो हुआ, वह आपसी सहमति से हुआ था, जबकि पीड़िता ने पलटवार में कहा था- दबाव और अधिकारों के गलत इस्तेमाल के आधार पर बनाया गया रिश्ता वैसा नहीं होता।
