दिल्ली में DTC बसों में खराबी को दूर करने के लिए पैरामिलिट्री फोर्सेज की मदद ली जा सकती है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा शहर में दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) बसों की खराबी की समस्या को उजागर करने के कुछ दिनों बाद, यातायात पुलिस और परिवहन विभाग इस समस्या से निपटने के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की मदद लेने पर विचार कर रहे हैं।

दिल्ली में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए कदमों पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट , ‘दिल्ली में वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण की रोकथाम और शमन 2021’ जिसे दिल्ली विधानसभा में पेश किया जाना है, उसमें बताया गया है कि शहर की सड़कों पर भीड़-भाड़ टूटी-फूटी बसों के कारण होती है, जो सड़कों से इन्हें हटाने में लगने वाले समय के कारण और बढ़ जाती है।

गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार और ट्रैफिक पुलिस को दिया सुझाव

सूत्रों के अनुसार, गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार और यातायात पुलिस को सुझाव दिया है कि वे सार्वजनिक परिवहन की खराब बसों से निपटने के लिए अर्धसैनिक बलों की मोटर और परिवहन इकाई की मदद ले सकते हैं। सूत्रों ने बताया कि डीटीसी और यातायात पुलिस अर्धसैनिक बलों जैसे सीमा सुरक्षा बल, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल से 50 ऐसे कुशल मैकेनिकों की मांग कर सकती है, जो डीटीसी टीमों को ऐसी बसों की मरम्मत और सड़कों से उन्हें हटाने में सहायता करेंगे।

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दिल्ली में भाजपा के सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अपनी पहली बैठक के दौरान अमित शाह ने निर्देश दिया था कि टूटी-फूटी बसों के कारण होने वाले ट्रैफिक जाम को रोकने के लिए डीटीसी को त्वरित प्रतिक्रिया दल तैनात करना चाहिए और अन्य विभागों के साथ समन्वय करना चाहिए ताकि तत्काल मदद ली जा सके और यातायात में बाधा को हटाने में प्रतिक्रिया समय कम किया जा सके।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “इन बसों के आकार के कारण इन्हें आसानी से नहीं खींचा जा सकता। क्रेन के खराब होने से ट्रैफिक जाम की वजह से इन्हें वहां तक ​​पहुंचने में समय लगता है।”

खराब बसों की मरम्मत या उन्हें सड़कों से हटाने में कई बार 45 मिनट से लेकर एक घंटे तक का समय लग जाता

परिवहन विभाग के अनुसार, खराब बसों की मरम्मत या उन्हें सड़कों से हटाने में कई बार 45 मिनट से लेकर एक घंटे तक का समय लग जाता है। गुरुवार को एक बैठक में यातायात पुलिस ने परिवहन विभाग से अनुरोध किया कि वह खराब बसों को हटाने में लगने वाले समय को कम करने के लिए महत्वपूर्ण मार्गों पर अपनी क्रेन और टीमें तैनात करे।

फिलहाल विभाग के पास डीटीसी और क्लस्टर बसों की मरम्मत के लिए 15 टीमें उपलब्ध हैं। सूत्रों ने बताया कि सीएजी की ऑडिट रिपोर्ट में 2014-2021 की अवधि के दौरान 2,661 खराब बसों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है। रिपोर्ट के हवाले से एक सूत्र ने बताया, “यह पाया गया कि सड़कों पर बसों के खराब होने की 3.57 लाख घटनाएं हुईं या औसतन रोजाना 139 घटनाएं हुईं। इनमें से 70% यानी 2.51 लाख मामलों में बसों को हटाने में 30 मिनट से अधिक का समय लगा।”

सूत्र ने कहा, “2.51 लाख मामलों में से 54% मामलों में प्रतिक्रिया समय 31 मिनट से दो घंटे के बीच था, 29% मामलों में दो घंटे से अधिक से चार घंटे तक और 17% मामलों में चार घंटे से अधिक था।” पढ़ें- दिल्ली दंगों के आरोपी शाहरुख पठान को मिली अंतरिम जमानत, पुलिस कांस्टेबल पर सरेआम तान दी थी पिस्तौल