जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी की सदस्य सफूरा जरगर को बुधवार को तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया। सफूरा को मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने मानवीय आधार पर सफूरा को जमानत दे दी थी। वह 23 हफ्ते की गर्भवती हैं। सफूरा  पर दिल्ली में हिंसा भड़काने का आरोप है।

हालांकि, कोर्ट ने जमानत के साथ ही सफूरा को आदेश दिया है कि वह 15 दिनों में कम से कम एक बार फोन के ज़रिए जांच अधिकारी के संपर्क में रहेंगी। कोर्ट ने कहा कि वह किसी भी ऐसी गतिविधि में शामिल न हों, जिससे जांच में बाधा आए। इसके अलावा दिल्ली छोड़ने से पहले अनुमति लेनी होगी।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हो रही सुनवाई  के दौरान जस्टिस राजीव शकधर ने  सफूरा को 10 हजार रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत पेश करने पर रिहा करने का आदेश दिया। संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर फरवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के आरोप में गैर कानूनी गतिविधियां निरोधक अधिनियम (यूएपीए) के तहत सफूरा जरगर को गिरफ्तार किया गया था।

बता दें कि कोर्ट में बेल की मांग करते हुए जरगर की वकील नित्या रामकृष्णन ने कहा था कि वह नाजुक हालत में हैं और गर्भवती हैं और अगर पुलिस को याचिका पर जवाब देने के लिए वक्त चाहिए तो छात्रा को कुछ वक्त के लिए अंतरिम जमानत दी जानी चाहिए। इस पर हाई कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता से मंगलवार को निर्देश लेकर आने को कहा था।