दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को आम आदमी पार्टी की सरकार को निर्देश दिया। कोर्ट ने निर्देश दिया कि आतिशी सरकार को Pradhan Mantri Ayushman Bharat Health Infrastructure Mission (PM-ABHIM) के कार्यान्वयन के लिए 5 जनवरी से पहले स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने की आवश्यकता है। विधानसभा चुनावों से पहले आदर्श आचार संहिता लागू होने के बावजूद इसको करने का निर्देश दिया।

PM-ABHIM एक केंद्र सरकार की योजना है जिसका उद्देश्य भविष्य की महामारियों और प्रकोपों का जवाब देने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करना है। जस्टिस प्रतिभा सिंह और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे से संबंधित अन्य याचिकाओं के साथ-साथ 2017 की एक स्वत: संज्ञान याचिका की समीक्षा की। अदालत ने डॉ. सरीन समिति की रिपोर्ट को लागू करने के लिए दिल्ली सरकार को कई निर्देश जारी किए हैं, जो शहर के स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को बढ़ाने और सुव्यवस्थित करने पर केंद्रित है।

दिल्ली सरकार ने नहीं लागू की है ये योजना

दिल्ली सरकार ने इस योजना को लागू नहीं करने का फैसला किया है। हालांकि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक ने 10 दिसंबर की एक रिपोर्ट में कहा है कि PM-ABHIM योजना केवल इंदिरा गांधी अस्पताल में डायग्नोस्टिक लैब के लिए लागू की जा रही है। 12 दिसंबर को एक खंडपीठ ने निर्देश दिया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अधिकारी इस योजना को लागू करने पर केंद्रित एक बैठक करें।

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जानें कोर्ट ने क्या कहा

अदालत ने कहा, “जो स्पष्ट स्थिति सामने आती है वह यह है कि PM-ABHIM योजना को पूरी तरह से लागू करना होगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दिल्ली के निवासी धन और सभी सुविधाओं से वंचित न हों। एक योजना की धनराशि को कुछ अन्य परियोजनाओं के लिए जारी करने की मांग नहीं की जा सकती, जैसा कि दावा किया जा रहा है। दिल्ली में इस योजना को लागू न करना ठीक नहीं होगा, जबकि 33 राज्य और केंद्रशासित प्रदेश पहले ही इसे लागू कर चुके हैं।”

कोर्ट के आदेश में कहा गया है, “इस एमओयू पर आदर्श आचार संहिता की परवाह किए बिना हस्ताक्षर किए जाएंगे, क्योंकि इसकी निगरानी इस अदालत द्वारा की गई है और यह दिल्ली के नागरिकों के लाभ के लिए है।अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि एमओयू को सुनवाई की अगली तारीख 13 जनवरी तक उसके समक्ष रखा जाए।” पढ़ें रेप और एसिड अटैक पीड़िताओं को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश