दिल्ली हाईकोर्ट ने टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की याचिका पर तुरंत आदेश देने से इनकार कर दिया है। महुआ मोइत्रा ने अपनी याचिका में मांग की थी कि लोकपाल बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की याचिका पर सुनवाई न करें। यह मामला “कैश-फॉर-क्वेरी” (cash for queries row) से जुड़ा हुआ है। मोइत्रा ने अपनी याचिका में कहा था कि बीजेपी सांसद ने लोकपाल की कार्यवाही की गोपनीयता का उल्लंघन किया है।
पिछले महीने दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि लोकपाल के आदेश पर महुआ मोइत्रा के खिलाफ चल रही “कैश-फॉर-क्वेरी” जांच में सीबीआई और लोकपाल को सख्त गोपनीयता बनाए रखनी होगी।
रामलीला रुकवाने वाले को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई कड़ी फटकार
मोइत्रा ने अदालत में दायर की थी याचिका
मोइत्रा ने तब जांच से जुड़े तथ्यों के लीक होने पर आपत्ति जताते हुए अदालत में याचिका दायर की थी। मोइत्रा के वकील समुद्र सारंगी ने दलील दी थी कि क्योंकि जांच से जुड़ी सूचनाएं लीक हो गई हैं, इसलिए वह जनता के बीच अपनी बात ठीक तरह से नहीं रख पा रही हैं।
टीएमसी सांसद ने अदालत से अनुरोध किया था कि नियमों के मुताबिक, सीबीआई और लोकपाल को इस बात के निर्देश दिए जाएं कि वे गोपनीयता बनाए रखेंगे। महुआ मोइत्रा ने इस बात पर आपत्ति जताई थी कि यह बात जुलाई में मीडिया के जरिए आम लोगों को पता चल गई थी कि सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट लोकपाल को सौंप दी है।
टीएमसी की तेजतर्रार सांसद ने यह भी आशंका जताई थी कि कहीं शायद पूरी जांच रिपोर्ट ही लीक न हो गई हो।
महुआ के वकील ने अदालत के सामने यह बात भी रखी थी कि शिकायतों या फिर मामलों को जांच/जांच एजेंसियों को देते समय लोकपाल (शिकायत) नियम, 2020 के अनुसार पूर्ण गोपनीयता बनाए रखी जाएगी।
जस्टिस सचिन दत्ता ने कहा था कि गोपनीयता बनाए रखी जानी चाहिए। लोकपाल ने मार्च 2024 में सीबीआई को महुआ मोइत्रा के खिलाफ रिश्वत लेकर सवाल पूछने की शिकायत पर जांच करने का आदेश दिया था।
महुआ पर क्या है आरोप?
टीएमसी सांसद पर आरोप है कि उन्होंने कारोबारी दर्शन हिरानंदानी को अपने संसद के लॉगिन क्रेडेंशियल्स दे दिए थे। हिरानंदानी ने उन क्रेडेंशियल्स का इस्तेमाल कर उद्योगपति गौतम अडानी से जुड़े मामलों पर सवाल पोस्ट कर दिए थे। आरोप है कि इसके बदले मोइत्रा को हीरानंदानी से नकद और महंगे उपहार मिले। मोइत्रा ने इन आरोपों को पूरी तरह गलत बताया है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट से भोजपुरी गायिका नेहा सिंह राठौर को झटका