साल 1995 में हुए तंदूर कांड के दोषी सुशील शर्मा को दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार (21 दिसंबर) को तत्काल रिहा करने का आदेश दे दिया। कोर्ट में हफ्ते भर पहले जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस संगीता ढींगरा सहगल की बेंच ने मानव अधिकारों का हवाला देते हुए इस मामले पर चिंता व्यक्त की थी। उनका कहना था कि यह बेहद गंभीर मसला है। कोर्ट ने इससे पहले एक दिसंबर की सुनवाई में दिल्ली सरकार से सवाल किया था कि आखिर 23 साल होने के बाद भी सुशील को क्यों नहीं छोड़ा गया?
बता दें कि शर्मा ने साल 1995 में पत्नी नैना सहानी के टुकड़े-टुकड़े कर उन्हें धधकते तंदूर में डालकर जला दिया था। 56 साल के शर्मा युवा कांग्रेस में नेता रह चुका है। वह पत्नी की हत्या के दोष में जेल की सजा काट रहा था। कोर्ट से उसने अपनी याचिका में कहा था कि वह जेल के भीतर काफी लंबा समय काट चुका है। साल 2003 में शहर के एक कोर्ट ने उसे फांसी की सजा सुनाई थी, पर 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि शर्मा के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिला है, जिससे साबित हो कि उसने ही पत्नी के टुकड़े किए।
इससे पहले, मंगलवार (18 दिसंबर) को जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस संगीता ढींगरा सहगल ने सवाल उठाया था, “कहां है तंदूर? सुप्रीम कोर्ट को ऐसा कोई भी सबूत नहीं मिला, जिससे साबित किया जा सके कि महिला की लाश के टुकड़े किए गए थे।”
क्या हुआ था घटना के दौरान?: रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुशील दो जुलाई 1995 को घर पहुंचा, तब नैना किसी से बात कर रही थीं। पति को देखते ही उन्होंने फोन रख दिया। शर्मा ने इसके बाद वही नंबर रिडायल किया, तो लाइन पर मतलूब करीम ने फोन उठाया था। शर्मा इसी पर भड़क गया था, जिसके बाद उसने पत्नी पर तीन गोलियां चलाई थीं। वह इसके बाद नैना की लाश जनपथ स्थित एक होटल ले गया था, जहां उसने रेस्त्रां के प्रबंधक के साथ मिलकर लाश को तंदूर में जलाने की कोशिश की थी।
