दिल्ली दंगा मामले में आरोपित उमर खालिद की जमानत याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट में आगामी 23 मई से रोजाना सुनवाई होगी। गौरतलब है कि खालिद सितंबर-2020 से जेल में बंद है। बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान माना कि अमरावती में खालिद द्वारा दिया गया भाषण अनुचित था।

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल व न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने कहा कि सरकार की आलोचना करने की अनुमति है लेकिन इसके लिए लक्ष्मण रेखा पार नहीं किया जाना चाहिए। पीठ ने सवाल किया कि खालिद द्वारा अमरावती में दिए गए भाषण में इंकलाब और क्रांतिकारी शब्दों का क्या मतलब था?

मामले की सुनवाई में लगने वाले समय को लेकर न्यायाधीशों ने खालिद के वकील त्रिदीप पेस से पूछा कि उन्हें बहस खत्म करने के लिए कितना समय चाहिए? इसपर पेस ने कहा कि उन्हें कम से कम दो दिन का समय और चाहिए।

वहीं विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने बताया कि उन्हें अपनी दलीलें पूरी करने के लिए चार से पांच घंटे का समय चाहिए। इसके बाद बेंच ने फैसला किया कि वे आगामी 23 मई से हर दिन लंच के बाद बैठेंगे और जमानत याचिका पर सुनवाई करेंगे।

पीठ ने कहा, “हमारा प्रस्ताव है कि सोमवार(23 मई) से हम इसे दोपहर के भोजन के बाद के सत्र में सुनेंगे। हम इसे छुट्टी से पहले समाप्त करना चाहते हैं।” इस दौरान न्यायमूर्ति भटनागर ने मांग की कि खालिद का अमरावती भाषण फिर से अदालत में चलाया जाना चाहिए।

स्पीच सुनने के बाद न्यायाधीश ने खालिद के भाषण में “भारत में मोदी नंगा सी” वाली लाइन को लेकर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा, “इसके बाद स्पीच में क्या कहा जा रहा है वो डोनाल्ड ट्रम्प को न पता लग जाए?

न्यायमूर्ति ने कहा, “भाषण में भारत के प्रधान मंत्री के खिलाफ बयान दिया जा रहा है। हालांकि उनकी आलोचना करने की अनुमति है और शब्दों का इस्तेमाल किया जा सकता था। लेकिन वह भारत में सब…पर ही रुक सकते थे। चंगा सी.. चंगा सी में एक पूर्णवीरम (पूर्ण विराम) हो सकता था।”

इसपर पेस ने कहा कि यह “भारत में सब चंगा सी” वाक्यांश के लिए व्यंग्यात्मक और व्यंग्यात्मक प्रतिक्रिया है। इसे हिंसा के लिए उकसाने के रूप में नहीं माना जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस घटना को मीडिया में व्यापक रूप से रिपोर्ट किया गया था।