Delhi High Court: दिल्ली हाई कोर्ट ने एक वकील को आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया है। हाई कोर्ट ने उसको जजों के खिलाफ टिप्पणी के माध्यम से कोर्ट की गरिमा को कम करने और बदनाम करने के लिए चार महीने जेल की सजा सुनाई है।

जस्टिस प्रतिभा एम सिंह और जस्टिस अमित शर्मा की पीठ ने वकील को निंदनीय और अपमानजनक भाषा का प्रयोग करने का दोषी ठहराया है। बेंच ने कहा कि वकील की टिप्पणियां न्यायिक अधिकारियों, हाई कोर्ट के जजों और कोर्ट के प्रति साफतौर पर अवमाननापूर्ण थीं।

हाई कोर्ट ने कहा कि अवमाननाकर्ता का न्यायालयों और समूची न्यायिक प्रणाली के प्रति कोई सम्मान नहीं है। उसने कोई माफी नहीं मांगी है और उसका पूरा आचरण महज न्यायालयों को बदनाम करने और बदनाम करने की कोशिश का है। अवमाननाकर्ता की ओर से इस तरह के आचरण को विशेष रूप से किसी ऐसे व्यक्ति की ओर से जो अधिवक्ता के रूप में योग्य है, दंडित किए बिना नहीं छोड़ा जा सकता।

पीठ ने कहा कि वकील ने अपने आचरण के लिए न तो माफी मांगी और न ही कोई पश्चाताप व्यक्त किया। पीठ ने कहा कि उपर्युक्त पर विचार करते हुए अवमाननाकर्ता द्वारा न्यायिक अधिकारियों, पुलिस अधिकारियों और इस न्यायालय के न्यायाधीशों के खिलाफ 30 से 40 शिकायतें दर्ज करना स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि उसका इरादा न्यायालय को बदनाम करने के साथ-साथ न्यायालय की गरिमा और अधिकार को कम करना है।

वकील की सजा को निलंबित करने से इनकार करते हुए पीठ ने अवमानना ​​याचिका में उसके द्वारा प्रस्तुत किए गए तर्कों की काफी गिरे हुए स्तर का बताया। साथ ही सामान्य रूप से अदालतों और विशेष रूप से कई न्यायाधीशों के खिलाफ अवमानना ​​अभियान चलाने का उल्लेख किया।

मई में सिंगल न्यायाधीश ने वकील के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए आपराधिक अवमानना ​​का मामला शुरू किया था, क्योंकि उन्होंने न्यायाधीशों पर व्यक्तिगत टिप्पणी की थी और कार्यवाही के दौरान चैट बॉक्स में अपमानजनक टिप्पणियां पोस्ट की थीं।

खंडपीठ ने कहा कि चैट बॉक्स में वकील की टिप्पणियों का उद्देश्य उनके परिवार के साथ बदला लेना और उन्हें तुच्छ कार्यवाही में शामिल करना था। इसलिए वकील ने न्यायिक अधिकारियों, उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अपमानजनक आरोप लगाए। इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए बेंच ने वकील को चार महीने की कैद के अलावा दो रुपये का जुर्माना भी लगाया है। साथ ही पुलिस को उसे हिरासत में जेल भेजने का निर्देश दिया।