Delhi High Court News: दिल्ली हाई कोर्ट ने रैश ड्राइविंग से जुड़े एक मामले में अहम फैसला सुनाया और आरोपी की याचिका का संज्ञान लेते हुए बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि तेज रफ्तार में गाड़ी चलाने का मतलब यह नहीं है कि वो लापरवाही से ही गाड़ी चला रहा हो। याचिका कर्ता ने दावा किया था कि गाड़ी चलाने के दौरान उसका टायर फट गया था।
दरअसल, हाई कोर्ट ने जिस मामले में सुनवाई कर रहा था, वह साल 2012 का है। एक कार क्लीनर किसी और को कार से लेकर निकला था लेकिन गाड़ी का नियंत्रण उसने खो दिया, जिसके चलते दो पैदल यात्रियों को टक्कर मार दी। याचिकाकर्ता क्लीनर ने दावा किया अचानक टायर फटने की वजह से य ह एक्सीडेंट हुआ।
हाई कोर्ट ने रैश ड्राइविंग पर क्या कहा?
क्लीनर की याचिका को स्वीकार करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस सौरभ बनर्जी ने कहा कि केवल इसलिए कि याचिकाकर्ता तेज गाड़ी चला रहा था, यह नतीजा नहीं निकाला जा सकता है कि वह लापरवाही से चला रहा था। कोर्ट में गवाहों ने भी यह तो स्वीकारा कि आरोपी तेज गाड़ी चला रहा था, लेकिन लापरवाही को लेकर किसी ने कुछ भी स्पष्ट नहीं कहा है।ॉ
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दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस ने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा दायर किए गए मामले में काफी कमियां थीं। याचिकाकर्ता को बरी करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि यह पता नहीं चल पाया है कि आरोपी तेज और लापरवाही से कर चला रहा था। जस्टिस बनर्जी ने कहा कि कई परिस्थितियों के चलते दुर्घटना हुई और कार का टायर फटा। इसको लेकर ना तो अभियोजन पक्ष द्वारा कुछ कहा गया और ना ही ट्रायल कोर्ट द्वारा कुछ स्पष्ट किया गया।
आरोपी को किया गया बरी
अदालत ने यह स्पष्ट किया कि किसी भी सजा या दोषसिद्धि को बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि जिस वजह से किसी की मौत हुई हो, या चोट लगने की संभावना हो तो यह देखा जाए कि वह लापरवाही से हुआ था या जानबूझकर किया गया था।
चार गवाहों को देखते हुए उपचार उच्च न्यायालय ने कहा कि वह सभी ये मान रहे हैं कि याचिका करता तेज गाड़ी चला रहा था लेकिन किसी ने भी यह नहीं बताया कि वह लापरवाही से ड्राइव कर रहा था।