दिल्ली हाई कोर्ट ने सरोगेसी को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है। सर गंगाराम हॉस्पिटल में एक मृत व्यक्ति के फ्रीज कराए गए स्पर्म रखे थे। दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए सर गंगाराम अस्पताल को मृत व्यक्ति के फ्रीज कराए गए स्पर्म को सरोगेसी से बच्चा पैदा करने के लिए उसके माता-पिता को सौंपने का निर्देश दे दिया। हाई कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि यदि स्पर्म या एग के मालिक की सहमति मिल जाए तो उसकी मौत के बाद भी बच्चा पैदा करने पर कोई रोक नहीं है।
दिल्ली हाई कोर्ट का बड़ा फैसला
जस्टिस प्रतिभा सिंह ने फैसला सुनाया। यह अपने आप में इस तरह का पहला निर्णय है। जस्टिस ने कहा कि भारतीय कानून के तहत यदि स्पर्म या एग के मालिक की सहमति का सबूत पेश किया गया तो उसकी मौत के बाद भी प्रजनन पर कोई रोक नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि अब केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय इस पर विचार करेगा कि मौत के बाद प्रजनन से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए किसी कानून की आवश्यकता है या नहीं।
इंदर सिंह की 1 सितंबर, 2020 को मृत्यु हो गई। उसी वर्ष 21 दिसंबर को उनके माता-पिता, गुरविंदर सिंह और हरबीर कौर ने अस्पताल से संरक्षित स्पर्म जारी करने का अनुरोध किया था। जब वे नमूना प्राप्त करने में विफल रहे, तो माता-पिता ने 2021 में दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया। वरिष्ठ अधिवक्ता सुरुचि अग्रवाल और अधिवक्ता गुरमीत सिंह द्वारा दंपति का प्रतिनिधित्व किया गया। माता-पिता ने कहा कि वे अपनी दो बेटियों के साथ, पैदा होने वाले किसी भी बच्चे की पूरी जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हैं।
जस्टिस सिंह की पीठ ने माता-पिता की याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि प्रीत इंदर ने अपने वीर्य के नमूने को संरक्षित करने के लिए अपनी स्पष्ट सहमति दी थी। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि वह प्रजनन संरक्षण के लिए वीर्य फ्रीजिंग के लिए जाने को तैयार थे। याचिकाकर्ता के बेटे का इरादा बच्चा पैदा करने के लिए स्पर्म के नमूने का उपयोग करने का था।
अदालत ने साफ कहा कि माता-पिता को अपने बेटे की अनुपस्थिति में पोते पोती को जन्म देने का मौका मिल सकता है। अदालत ने कहा कि हमारे सामने कानूनी मुद्दों के अलावा नैतिक और आध्यात्मिक मुद्दे होते हैं।