Delhi Yamuna BJP Rekha Gupta Promise: देश में नदियों को भगवान का दर्जा दिया गया है, यहां तो गंगा और यमुना को मां का तमगा दिया गया है। कोई भी शुभ काम हो, इन नदियों की भूमिका हमेशा अहम रहती है। लेकिन इन नदियों का मां का दर्जा तो दिया गया, लेकिन इनका ध्यान उस तरह से नहीं रखा गया। आरोप-प्रत्यारोप तो चलते रहते हैं, लेकिन जमीन पर जो सच्चाई दिखती है वो ना सिर्फ उस मां का अपमान है, बल्कि कहना चाहिए कि एक महा पाप है। यमुना नदी पूरी तरह प्रदूषित चल रही है, बात तो गंगा पर भी होनी है, लेकिन दिल्ली में यमुना की गंदगी एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है।

केजरीवाल ने यमुना पर क्या बोला?

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने यमुना नदी को लेकर एक बड़ा दावा किया था। अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि बीजेपी वालों ने ऐसी हरकत की है जिसके बारे में इतिहास में कभी नहीं सोचा गया होगा। दिल्ली को पीने का पानी हरियाणा से मिलता है और यमुना हरियाणा से आती है। हरियाणा में इस समय भाजपा की सरकार है लेकिन उन्होंने यमुना से आने वाले पानी में जहर मिलाकर भेज दियाष यह तो दिल्ली जल बोर्ड का भला हो क्योंकि इंजीनियर ने उस बात को पकड़ लिया, उन्होंने इस पानी को बॉर्डर पर ही रोक दिया। अगर यह पानी दिल्ली में आ जाता और पीने के पानी के साथ मिल जाता, न जाने कितने लोगों की जान चली जाती, नरसंहार जैसी स्थिति हो जाती। ऐसा जहर मिलकर भेजा इन लोगों ने कि दिल्ली के वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट भी सफाई नहीं कर पाते।

केजरीवाल ने ‘जहर’ शब्द का प्रयोग क्यों किया?

अब यहां पर सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि अरविंद केजरीवाल जिसे बार-बार ‘जहर’ कहकर संबोधित कर रहे हैं, वो असल में अमोनिया की बात कर रहे हैं। दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहा था कि यमुना के पानी में अमोनिया की मात्रा ज्यादा हो चुकी है, उन्होंने आरोप लगाया था कि हरियाणा की जो फैक्ट्रियां हैं, उनका सारा वेस्ट यमुना में मिल रहा है और दिल्ली भेजा जा रहा है। अब आतिशी के उसी आरोप को आगे बढ़ाते हुए अरविंद केजरीवाल ने उसे जहर का नाम दे दिया। लेकिन दिल्ली जल बोर्ड ने आप संयोजक की बात का खंडन किया है। जोर देकर बोला गया है कि यमुना नदी में अमोनिया तो पहले भी बढ़ा है। इसे जहर बता देना पैनिक क्रिएट करेगा, लोगों में डर पैदा हो जाएगा।

दिल्ली जल बोर्ड ने क्या सच्चाई बताई?

दिल्ली जल बोर्ड की सीईओ ने दिल्ली के मुख्य सचिव को एक लेटर लिखा है, उसमें अरविंद केजरीवाल के ऐसे तमाम दावों को झूठ बताया गया है। यहां तक कहा गया है कि दिल्ली के एलजी को इस बात का संज्ञान लेना चाहिए। दिल्ली जल बोर्ड ने यह बात भी साफ कर दी है कि यमुना में अमोनिया की मात्रा बढ़ने से पानी की आपूर्ति बाधित हो सकती है, लेकिन इससे जान का खतरा पैदा नहीं होता है।

यमुना की सफाई- जिम्मेदारी किसकी होती है?

इसका स्पष्ट जवाब है, केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों की ही पूरी जिम्मेदारी रहती है। दिल्ली सरकार का भी अपना बजट है और केंद्र भी अपने बजट में से एक हिस्सा यमुना नदी की सफाई पर खर्च करती है। ऐसे में इस समय अगर यमुना इतनी प्रदूषित दिख रही है, अगर उसमें जहरीला फोम दिख रहा है, इसकी जिम्मेदारी भी दोनों सरकारों की है। यहां पर एक बात समझना जरूरी है कि यमुना नदी काफी बड़ी है, कई राज्यों से होकर गुजरती है, ऐसे में केंद्र की जिम्मेदारी तो पूरी यमुना नदी को लेकर है, लेकिन दिल्ली की बीजेपी सरकार को सिर्फ दिल्ली में बहने वाली यमुना पर फोकस करना है।

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दिल्ली में यमुना कितनी बड़ी और प्रदूषित है?

दिल्ली में इस समय यमुना का प्रदूषण जितना बड़ा बन चुका है, यह जान हैरानी होगी कि राजधानी में इसकी उपस्थिति काफी कम है। असल में दिल्ली में सिर्फ 22 किलोमीटर के स्ट्रेच तक यमुना नदी है, यह वजीराबाद बैराज से शुरू होती है और ओखला बैराज तक जाती है। इसे कुल यमुना का सिर्फ 2 फीसदी माना जाता है। लेकिन यह दो फीसदी एरिया ही यमुना का सबसे प्रदूषित है। तमाम रिपोर्ट बताती हैं कि कुल प्रदूषण का 76 फीसदी अकेले दिल्ली से निकल रहा है। यानी कि अगर राजधानी में यमुना साफ हो जाएगी, 76 फीसदी काम भी पूरा हो जाएगा।

दिल्ली में यमुना इतनी प्रदूषित क्यों है?

आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली का 3500 मिलियन लीटर का म्यूनिसिपल सीवेज रोज यमुना में जा रहा है। हैरानी की बात यह है कि इसे ठीक तरीके से ट्रीट ही नहीं किया जा रहा। जितने भी जहरीले केमिकल्स के साथ वो सीवेज निकलता है, उसी के साथ वो यमुना में भी मिल रहा है। यह एक बड़ा कारण कि क्यों आज की यमुना नदी को इतनी जहरीला बताया जा रहा है। एक चीज समझने वाली यह भी है कि यमुना नदी का दिल्ली में आकर प्रवाह काफी कम हो जाता है, उस कारण से जितनी भी गंदगी होती है, वो एक जगह पर इकट्ठा दिखती है। यह भी कारण है कि राजधानी में यमुना हमेशा ही ज्यादा प्रदूषित दिखाई पड़ती है।

जानकार बताते हैं कि वर्तमान में अकेले दिल्ली में 92 ड्रेन हैं जिनका सारा कचरा सीधे यमुना में जा रहा है, वहां भी 62 ड्रेन्स को ना तो बंद किया गया है और ना ही उनके फ्लो को कम या डायवर्ट करने की कोई पहल हुई है। इस वजह से भी राजधानी में यमुना का हाल इतना बेहाल है।

दिल्ली में पानी कहां-कहां से आता है?

अब पहले यह जानना जरूरी है कि दिल्ली की प्यास बुझती जरूर है, लेकिन उसे दूसरे राज्यों पर निर्भर रहना पड़ता है। दिल्ली में ग्राउंड वॉटर का स्तर लगातार गिरता जा रहा है, इतना कम हो चुका है कि उसके सहारे दिल्ली की पानी आपूर्ति किसी भी सूरत में पूरी नहीं हो सकती है। वर्तमान में राजधानी में मौजूद कुंए, ट्यूबवेल और ग्राउंड वॉटर से दिल्ली को 9 करोड़ गैलन पानी मिल रहा है। लेकिन दिल्ली को रोज 129 करोड़ गैलन पानी की जरूरत पड़ती है। इसी वजह से हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और हिमाचल जैसे राज्य राजधानी के रेस्क्यू के लिए आते हैं।

आंकड़ों से पता चलता है कि दिल्ली को हरियाणा से यमुना का 38.9 करोड़ गैलन पानी मिलता है, इसी तरह यूपी की गंगा नदी से 25.3 करोड़ गैलन पानी और पंजाब के भाखरा-नांगल से 22.1 करोड़ गैलन पानी आता है। अगर इस सब का टोटल किया जाए तो यह 96.6 करोड़ गैलन तक पहुंचता है जो दिल्ली की रोजमरा की जरूरतों को पूरा नहीं कर सकता। दूसरे शब्दों में बोले तो दिल्ली की जल आपूर्ति 41 फीसदी यमुना से पूरी होती है, 27 फीसदी गंगा से और 24 फीसदी भाखरा-नांगल से।

क्या दिल्ली में यमुना को साफ करने की कोशिश हुई?

दिल्ली में यमुना को साफ करने की कोशिश कई दशकों से जारी है। इसकी सबसे बड़ी और निर्णायक शुरुआत 1993 में हो गई थी। तब यमुना एक्शन प्लान शुरू किया गया था। यह भारत और जापान की सरकार का एक संयुक्त प्रोजेक्ट था जिसके तहत यमुना को साफ करना था। बाद में 2004 और 2008 में इसी यमुना एक्शन प्लान के दो और चरण आए। अब 1993 में जब यमुना एक्शन प्लान शुरू हुआ, इके लिए 682 करोड़ रुपये निकाले गए। इसी तरह जब इसका दूसरा चरण लॉन्च हुआ, राशि बढ़कर 1514.70 करोड़ तक पहुंच गई। इसके बाद जब तीसरा चरण आया, अनुमानित खर्च 1656 करोड़ तक पहुंचा।

अब इसके अलावा केंद्र सरकार ने भी 2015 से लेकर 2023 के बीच तक यमुना की सफाई के लिए 1000 करोड़ खर्च किए हैं, इसके अलावा यमुना एक्शन प्लान 3 के लिए केंद्र ने ही अलग से 200 करोड़ दिए हैं। अब यह सारा खर्चा तो केंद्र की तरफ से रहा, जब आम आदमी दिल्ली में सत्ता में आई थी, उसने भी यमुना सफाई पर 700 करोड़ खर्च कर दिए थे। अब बीजेपी सत्ता में है, ऐसे में उसे भी रणनीति के तहत बजट से पैसे निकाल यमुना सफाई पर काम करना है।

केजरीवाल की पिछली सरकार ने क्या काम किया?

जब दिल्ली में आप की सरकार थी, 2024 में ही यमुना साफ करने के लिए पां सूत्री कार्ययोजना भी शुरू की थी। उसके मुताबिक नजफगढ़, सप्लीमेंट्री और शाहदरा नालों में 10 अलग-अलग जगहों पर इन-सीटू ट्रीटमेंट जोन बनाने का प्लान था। फोकस इस बात पर रहा कि किस तरह से पानी में फॉस्फेट की मात्रा को कम किया जाए।

लंदन की टेम्स नदी से क्या सीखें?

पिछली सदी के छठे दशक तक लंदन की टेम्स नदी भी यमुना जितनी ही प्रदूषित था, इतना कचरा था कि उसे साफ करने के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था। लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति, लोगों की सहायता और तय रोड मैप पर चलने की वजह से टेम्स की दशा और दिशा दोनों बदल गई। ब्रिटेन की सरकार ने मात्र 824 करोड़ खर्च किए, जितने भी ओपन नाले थे, उनमें इंटरसेप्टर चैनल लगा दिए और असर जमीन पर दिखने लगा। इसके ऊपर सीवर डिसचार्ज का इंतजाम करने के लिए बड़े-बड़े गड्ढे खोद दिए गए और उस तरह से टेप्म में वो गंदा पानी भी जाना बंद हो गया। जनभागीदारी बढ़ाने के लिए ब्रिटेन ने ‘टेम्स क्लीन अप’ अभियान भी शुरू किया, इसके तहत जो भी टेम्स नदी के तट पर जाता है, वो सफाई का सारा सामान अपने साथ रखता है। इसी वजह से धीरे-धीरे टेम्स का पानी साफ होता गया और आज वो अपने पुराने रूप में लौट चुकी है।

लेकिन यमुना नदी दिल्ली में इतनी प्रदूषित इसलिए चल रही है क्योंकि यहां भ्रष्टाचार की दीमक, इच्छाशक्ति की कमी और लगातार हो रही राजनीति ने असल परिणामों की रफ्तार को बिल्कुल धीमा कर दिया है। अगर यमुना के गंदे होने के और कारण जानने हैं तो यहां क्लिक करें