Delhi Election 2025: दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस के बीच में मुकाबला चल रहा है, दो सीटों पर ओवैसी की पार्टी AIMIM ने भी अपने प्रत्याशी उतार रखे हैं। लेकिन मुख्य तौर पर टक्कर आप बनाम बीजेपी की दिखाई पड़ती है, जैसी दिल्ली की राजनीति रही है यहां पर बाइपोलर कंटेस्ट ही देखने को मिलता है, इस बार भी वैसी ही स्थिति बन रही है। लेकिन दिल्ली चुनाव के साथ एक ऐसा ट्रेंड जुड़ा हुआ है जो समय से पहले बता सकता है कि राजधानी में किसकी सरकार बनने जा रही है।
दिल्ली के चुनावी नतीजे हुए डीकोड
असल में 1993 से ही दिल्ली चुनाव के साथ एक बात जुड़ी हुई है, जिस भी पार्टी को 40 फीसदी या उससे ज्यादा वोट मिल जाते हैं, उसकी जीत पक्की है। यानी कि अगर वोट शेयर 40 प्रतिशत को पार कर गया, सरकार उसी की बनेगी। अभी तक तो जितने भी आंकड़े सामने आए हैं वो इस बात की तस्दीक कर रहे हैं कि 40% का खेल ही दिल्ली चुनाव का परिणाम भी तय कर रहा है।
| चुनाव | वोट शेयर (%) | सीटें | जीता |
| 1993 | 42.8 | 49 | बीजेपी |
| 1998 | 47.8 | 52 | कांग्रेस |
| 2003 | 48.1 | 47 | कांंग्रेस |
| 2008 | 40.3 | 43 | कांग्रेस |
| 2015 | 54.5 | 67 | आप |
| 2020 | 53.8 | 62 | आप |
2013 में दिल्ली में सबसे बड़ा खेल
अब यहां पर 2013 दिल्ली चुनाव का जिक्र नहीं किया गया, इसका एक बड़ा कारण है। असल में दिल्ली का 2013 वाला चुनाव ऐसा रहा था जहां पर किसी भी पार्टी को 40 फीसदी या उससे ज्यादा वोट शेयर नहीं मिला था। उस चुनाव में बीजेपी को 33.3 फीसदी वोट, आम आदमी पार्टी को 29.7 फीसदी वोट और कांग्रेस को 24.7 फीसदी वोट मिले थे। इसी वजह उस चुनाव में त्रिशंकु जनादेश आया और कोई भी पार्टी अपने दम पर सरकार नहीं बना पाई।
2013 का नतीजा ही यह बताने के लिए काफी है कि अगर दिल्ली में कोई भी पार्टी 40 फीसदी वोट शेयर का आंकड़ा नहीं छू रही है, तब मानकर चलना चाहिए कि राजधानी में या तो तोड़फोड़ वाली राजनीति देखने को मिलेगी या फिर गठबंधन सरकार के आसार होंगे।
कांग्रेस तय करेगी- आप सरकार या बीजेपी?
वैसे दिल्ली चुनाव में एक तरफ 40 फीसदी वाला खेल जरूरी रहेगा तो दूसरी तरफ कांग्रेस के प्रदर्शन पर भी सभी की निगाहें रहने वाली हैं। असल में कांग्रेस अगर थोड़ा बेहतर प्रदर्शन कर जाए तो उस स्थिति में चुनाव परिणाम पर असर पड़ेगा और अगर कांग्रेस और ज्यादा कमजोर हो जाए, तब भी नतीजों पर असर पड़ना तय है। असल में पॉलिटिकल जानकार मानते हैं कि दिल्ली में अगर कांग्रेस थोड़ा भी बेहतर प्रदर्शन कर जाती है तो उस स्थिति में फायदा बीजेपी को मिल सकता है।
इसका एक सीधा कारण यह है कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस वोट बैंक एकदम सेम चल रहा है। असल में दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने अपनी जो मजबूत पकड़ बनाई है, उसमें सबसे अहम किरदार कांग्रेस ने ही निभाया है, कहना चाहिए आप ने समय के साथ देश की सबसे पुरानी पार्टी की जगह दिल्ली में ले ली है। इसी वजह से अगर कांग्रेस कुछ सीटों उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन करती है, उस स्थिति में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच में वोट बंट जाएंगे और इसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है।
कांग्रेस की 15% वाली कौन सी रणनीति?
इसके ऊपर कांग्रेस की इस बार जैसी रणनीति चल रही है, वो सिर्फ 15 फीसदी वोट हासिल करने पर जोर दे रही है। उसका मानना है कि अगर इतना वोट शेयर आ गया तो उस स्थिति में 6 से 7 सीटें निकाली जा सकती हैं। इसके ऊपर पार्टी ने 20 सीटों पर मजबूत प्रत्याशी उतार रखे हैं जिस वजह से मुकाबला वहां त्रिकोणीय चल रहा है। कांग्रेस का मानना है कि दलित और मुस्लिम बाहुल सीटों पर उसका प्रदर्शन सुधर सकता है, उसी वजह से आम आदमी पार्टी की टेंशन भी थोड़ी बढ़ी है।
कांग्रेस और कमजोर, जरूरी नहीं फायदा AAP को
एक बात और गौर करने वाली यह है कि अगर कांग्रेस का प्रदर्शन और ज्यादा गिर जाता है, तब भी यह दावे के साथ नहीं कहा जा सकता कि वो सारा वोट सीधे-सीधे आम आदमी पार्टी की तरफ शिफ्ट हो जाएगा। असल में मुस्लिम बाहुल सीटों पर जरूर केजरीवाल को फायदा होगा, लेकिन कांग्रेस का थोड़ा बहुत वोटबैंक नॉन मुस्लिम में भी पड़ता है, ऐसे में उसके बंटने की पूरी संभावना है। अगर वो बंटा तो उस स्थिति में बीजेपी कई सीटों पर आम आदमी पार्टी का बना बनाया खेल बिगाड़ सकती है। अब इन्हीं सब फैक्टरों की वजह से यह दिल्ली चुनाव काफी दिलचस्प बन चुका है, किसकी सरकार बनने जा रही है, यह बता पाना काफी मुश्किल है। वैसे बीजेपी को सरकार बनाने के लिए क्या खेल करना होगा, इसका विश्लेषण जरूर किया गया है, अगर इस बारे में पढ़ना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें
