Delhi Election Purvanchali Voter: दिल्ली चुनाव में कई मुद्दे राजनीतिक पार्टियों के लिए वोटों का जरिया बन चुके हैं, अब वैसे तो दिल्ली का चुनाव जाति आधारित कभी दिखाई नहीं पड़ता है, लेकिन पिछले कई सालों से पूर्वांचली वोटरों की भूमिका काफी अहम हो चुकी है। इनकी तादाद वैसे तो कम है, लेकिन कई सीटों पर यह अपना अच्छा खासा प्रभाव रखते हैं। इस बार के दिल्ली चुनाव में एक बार फिर राजनीति पूर्वांचल वोटरों के इर्द-गिर्द घूमती दिख रही है।
बीजेपी को दिल्ली में क्यों चाहिए पूर्वांचली साथ?
असल में इस समय भाजपा इसी मुद्दे को सबसे बड़ा बना रही है और उसका आरोप है कि अरविंद केजरीवाल ने मीडिया के सामने पूर्वांचल के लोगों का अपमान किया है। दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी का कहना है कि भाजपा ने पूर्वांचल के लोगों के लिए कोई काम नहीं किया, कोई विकास कार्य नहीं हुआ। अब समझने वाली बात यह है दिल्ली का जो पूर्वांचल वोटर है, वो चुनावी नतीजों पर अच्छा खासा असर रखता है। बीजेपी अगर 27 साल बाद वापस सत्ता में आना चाहती है तो उसे पूर्वांचली लोगों का वोट चाहिए। इसी वजह से केजरीवाल के एक बयान को ही आधार बनाकर पूरा नेरेटिव सेट करने की कवायद दिख रही है। अब जानकारी के लिए बता दें कि अरविंद केजरीवाल ने कुछ दिन पहले फर्जी वोटरों का मुद्दा उठाते हुए एक बड़ा बयान दिया था।
केजरीवाल का कौन सा विवादित बयान?
उन्होंने कहा था कि नई दिल्ली एक लाख लोगों की छोटी सी सीट है, लेकिन पिछले 15 दिनों में उसी सीट पर 13000 नए वोटर कैसे आ गए, उनकी एप्लीकेशन कहां से आई है, जाहिर तौर पर यूपी और बिहार से लाकर, आसपास की स्टेट से लाकर फर्जी वोटर बनवा रहे हैं। अब बीजेपी ने इसी मुद्दे को भुनाने का काम किया है और यूपी-बिहार वाले स्टेटमेंट को सीधे-सीधे पूर्वांचली लोगों से जोड़ दिया है।
दिल्ली में कितने पूर्वांचली?
दिल्ली के पूर्वांचल वोटरों की बात करें तो वो 25 से 30 फीसदी के आसपास बैठते हैं। पूर्वी और उत्तरी दिल्ली में सबसे ज्यादा पूर्वांचल मतदाता रहते हैं, यहां भी बुराड़ी, पटपड़गंज, उत्तम नगर, बदरपुर, लक्ष्मी नगर, मॉडल टाउन, देवली, अंबेडकर नगर, पालम, विकासपुरी कुछ ऐसी सीटें हैं जहां पर पूर्वांचल वाटर ही हार जीत तय करते हैं।
कितनी सीटों पर पूर्वांचलियों का असर?
दिल्ली के अगर पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो राजधानी में 20 ऐसी सीटें हैं जहां पर पूर्वांचली सबसे ज्यादा तादाद में माने जाते हैं। लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में उन्हें 20 सीटों में से 17 पर आम आदमी पार्टी ने बड़ी जीत हासिल की थी। वहीं बीजेपी का आंकड़ा तीन पर आकर सिमट गया था। बात अगर अकेले आम आदमी पार्टी की करें तो 2020 में उसके नौ उम्मीदवार पूर्वांचल इलाके से आते थे, 2015 में यह आंकड़ा 12 विधायक था। अगर इस बार की चुनाव की बात करें तो आम आदमी पार्टी ने 10 पूर्वांचली उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतार दिया है। पार्टी की तरफ से संजीव झा (बुरारी), अनिल झा (किरारी), दिनेश मोहनिया (संगम विहार), अवध ओझा (पटपड़गंज) और गोपाल राय (बाबरपुर) को मौका दिया गया है।
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