Delhi Election Mustafabad Ground Report: 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों से झुलस गई थी, 40 मुसलमान और 13 हिंदुओं की मौत हुई थी, सैकड़ों घर आग के हवाले कर दिए गए थे। दंगों का दंश मुस्तफाबाद इलाके ने भी झेला था, कहना चाहिए वहां भी इस बार के AIMIM प्रत्याशी ताहिर हुसैन का घर तो उन दंगों का सबसे बड़ा एपीसेंटर बना था, ऐसे आरोप लगे थे कि ताहिर की छत से पेट्रोल बम फेंके गए।
अब दिल्ली में चुनाव का मौसम है, जनसत्ता ने फैसला किया कि पांच सालों बाद मुस्तफाबाद की सियासी फिजा समझने की जरूरत है, वहां भी यह समझना ज्यादा जरूरी है कि लोग ताहिर हुसैन को लेकर क्या विचार रखते हैं, उनके पक्ष में माहौल है, उनके खिलाफ में माहौल है या फिर मुकाबला यहां भी आम आदमी पार्टी बनाम बीजेपी का ही रहने वाला है।
मुस्तफाबाद से जनसत्ता की सटीक ग्राउंड रिपोर्टिंग यहां देखें-
मुस्तफाबाद में एंट्री करते ही कूड़े का एक बड़ा पहाड़ स्वागत करता है, गंदगी ऐसी है कि कई बीमारियां बिना कहे साथ चलती हैं। लोग बताते हैं कि यह कूड़े का पहाड़ कोई आज का नहीं है, लेकिन अब चुनाव सिर पर आ गए हैं, इसलिए एक बड़ी क्रेन से कूड़े को हटाने का काम हो रहा है। लेकिन लोग भी समझ रहे हैं कि चुनावी मौसम में सिर्फ दिखाने के लिए यह सब किया जा रहा है।
जनसत्ता जब मुस्तफाबाद की गलियों में गया तो लोगों की भीड़ ने रोक लिया, सामने से कहा गया कि उन्हें कैमरे पर बोलना है। युवक की उम्र 19 साल के करीब थी, नए वोटर थे, लेकिन अपनी बात रखने के लिए अति उत्साहित। इस युवक का नाम मोहम्मद आमिर था और वो अपने मुद्दों, अपने प्रत्याशी और अपने विचारों को लेकर काफी मुखर। बिना कोई भूमिका बांधे मोहम्मद आमिर ने जनसत्ता से कहा कि
मुस्तफाबाद से तो अली महदी आ रहा है, झाड़ू-वाड़ू तो कुछ नहीं है, ये अली महदी तो शेर है, इंशाल्लाह यही जीतने वाला है, झाड़ू तो चूरन है, लेकिन हमारा अली महदी शेर है, बात जब मुस्तफाबाद के नाम बदलने की आई थी, अली महदी ने डंके की चोट पर इंटरव्यू दिया था। आप वाले आदिल अहमद तो कपिल मिश्रा की आंखों में नहीं देख सकता, अली महदी में वो हिम्मत है।
मोहम्मद आमिर, स्थानीय
अब मुस्तफाबाद के जिस इलाके में जनसत्ता घूम रहा था, वहां कांग्रेस के पक्ष में भी दलीलें सुनने को मिल रही थीं। अली महदी को कांग्रेस ने इस बार अपना उम्मीदवार बना रखा है। दिल्ली चुनाव में मुस्तफाबाद उन चुनिंदा सीटों में शुमार है जहां कांग्रेस को भी ठीक-ठाक समर्थन मिलता दिख रहा है। इस सीट से आम आदमी पार्टी ने आदिल अहमद को मौका दिया है, हाजिर यूनस का टिकट काटकर उन्हें उतारा गया है। बीजेपी ने हिंदू कार्ड चलते हुए मोहन सिंह बिष्ट को मौका दिया है।
अब मुस्तफाबाद के मुस्लिम बाहुल इलाकों में मोहन सिंह बिष्ट को लेकर ज्यादा समर्थन नहीं दिखा है, लोगों की जुबान पर आम आदमी पार्टी है, कांग्रेस है और कुछ ताहिर हुसैन का जिक्र भी दबी जुबान से करते हैं। लोगों की ऐसी धारणा है कि ताहिर हुसैन शायद चुनाव नहीं जीतेंगे, लेकिन ‘वोट कटवा’ की भूमिका में जरूर आ सकते हैं। जनसत्ता को इस्माइल ने कहा कि
दिल्ली के अंदर एक ही सरकार है जो झाड़ू है, बाकी 70 की 70 सीटें झाड़ू की जाएंगी, अरविंद केजरीवाल की पूरी हवा यहां चल रही है। आदिल अहमद काफी मजबूत प्रत्याशी हैं, 30-40 हजार वोटों से जीत जाएंगे। ताहिर हुसैन को लेकर यहां तो कोई माहौल नहीं लगता है। यह जो ओवैस की पार्टी है या दूसरी छोटी पार्टी हैं, इनका एक ही नाम है- वोट कटवा। इन्हें जीतना नहीं है, बस दूसरों के वोट काटने है।
इस्माइल, स्थानीय
अब मुस्तफाबाद में जनसत्ता को सिर्फ सियासी बातें नहीं करनी थीं, वहां के बुनियादी मुद्दे समझना भी एक कोशिश थी। इसी कोशिश में सड़क खड़े एक आप समर्थन से पूछा- अरविंद केजरीवाल ने पिछले 10 सालों में सबसे अच्छा काम क्या किया है? इस सवाल के जवाब में बोला गया कि जो आप बिजली देख रहे हैं, पानी देख रहे हैं, अच्छे स्कूल देख रहे हैं, यह सब केजरीवाल ने ही तो बनवाए हैं। यहां झाड़ू का ही पूरा जोर है। फिर से आम आदमी पार्टी की सरकार बननी चाहिए।
इस चुनाव में आम आदमी पार्टी SSP मॉडल पर काम करती दिख रही है, इसका मतलब है- शिक्षा, स्वास्थ्य और पानी। अब यह मुद्दे मुस्तफाबाद में भी देखने को मिले हैं, अगर कोई आप समर्थन खुद को बता भी रहा है, तो उसका वोट करने का आधार यहीं मुद्दे हैं। लेकिन दिल्ली चुनाव में मुफ्त की रेवड़ियां जो बंट रही हैं, इसको लेकर जरूर जनता की राय बंटी नजर आती है। जनसत्ता की इसी बात को समझने के लिए मुस्तफाबाद के सबसे संवेदनशील इलाके में गया, ताहिर हुसैन की कॉलोनी में लोगों की नब्ज समझने की कोशिश हुई।
ताहिर हुसैन के घर के आसपास हलचल तेज थी। कैमरे ने उन प्रचार वाली गाड़ियों को भी अपने लैंस में कैद किया जिन पर ताहिर की बड़ी-बड़ी तस्वीरें थीं। इस समय ताहिर का घर AIMIM का नया ऑफिस बन चुका है, हर नेता वहां पर मौजूद है, सिर्फ नदारद खुद प्रत्याशी ताहिर हुसैन हैं। लेकिन AIMIM प्रत्याशी के पड़ोसी, उनकी कॉलोनी के लोग उनकी ज्यादा बात करना पसंद नहीं करते हैं। ऑफ कैमरा लोग फिर भी थोड़ी बहुत बातें बोल देते हैं, लेकिन ऑन कैमरा या तो चुप्पी या फिर किसी दूसरे मुद्दे पर बातचीत।
ताहिर के घर के सामने ही चार लोगों की चौपाल देखने को मिली। वहां पर ओम प्रकाश नाम के शख्स ने कहा कि केजरीवाल ये फ्री-फ्री क्यों करता रहता है। देश को समझना चाहिए कि यह जो भी फ्री में दिया जा रहा है, इससे देश को ही नुकसान हो रहा है। केजरीवाल ने दिल्ली का बेड़ा गर्क कर दिया है। जो काम करता है, सिर्फ उसको वोट मिलना चाहिए।
अब जनसत्ता मुस्तफाबाद का माहौल और सटीक तरीके से समझने के लिए सरिता विहार इलाके में भी गया। इस इलाके में जाने कारण यह था कि यहां हिंदू आबादी ज्यादा है। इससे पहले जिन भी इलाकों में लोगों की नब्ज टटोली गई, वहां मुस्लिम लोग ज्यादा थे। ऐसे में दूसरे पक्ष का मत जानने के लिए सरिता विहार का रुख किया गया। वहां पर बीजेपी प्रत्याशी मोहन सिंह बिष्ट प्रचार करते हुए दिख गए।
जनसत्ता से खास बातचीत में मोहन सिंह बिष्ट ने अपनी जीत का भरोसा तो जताया ही, इसके साथ-साथ लड़ाई को मुस्तफाबाद बनाम मुरली वाले की बता दिया। उनके मुताबिक उन्हें हर धर्म और जाति का वोट जरूर मिलेगा। मोहन सिंह बिष्ट ने कहा-
निश्चित रूप से यहां से इस बार कमल का फूल खिलेगा। इस बार दो M यहां काम कर रहे हैं, एक तो मुस्तफाबाद और दूसरा मुरली वाला मोहन है, ऐसे में दोनों के बीच में आमने-सामने की टक्कर है। अब जीत होगी तो मुरली वाले की होगी। यह सही बात है कि मेरी सीट बदल गई, करावल नगर से जब यहां भेजा गया तो थोड़ा बुरा लगा, लेकिन यह भी मेरी कर्मभूमि है। 1998 से 2008 तक मैं यहां से विधायक रहा हूं। परिसीमन के बाद मेरी विधानसभा बदल गई थी। अब 17 साल बाद जब मैं यहां की स्थिति देखता हूं तो मन रोता है, लेकिन शायद भगवान ने सही किया जो मुझे अब यहां भेज दिया है।
मोहन सिंह बिष्ट, बीजेपी प्रत्याशी