राजधानी दिल्ली मेंं दिवाली के मौके पर जमकर आतिशबाजी हुई है। उस आतिशबाजी की वजह से प्रदूषण में भी इजाफा देखने को मिला। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जाहिर की है और दिल्ली सरकार से तीखे सवाल पूछे हैं। सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में अब आतिशी सरकार से तुरंत जवाब मांगा है, एक स्पष्टीकरण देने के लिए बोला गया है।

बैन के बावजूद दिल्ली में आतिशबाजी

जानकारी के लिए बता दें कि इस साल फिर सुपीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर पूरी तरह बैन था, ग्रीन क्रैकर्स को भी मंजूरी नहीं दी गई थी। लेकिन उस बैन के बावजूद भी राजधानी में दिवाली वाले दिन जमकर आतिशबाजी हुई, लोगों ने खूब पटाखे फोड़े। ऐसा माना जा रहा है कि उस वजह से भी राजधानी में प्रदूषण और ज्यादा बढ़ गया। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया और सीधे दिल्ली सरकार को तलब किया गया।

दिवाली के बाद दिल्ली में कितना प्रदूषण?

सीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली के विभिन्न इलाकों में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब रही थी। दिवाली के अगले दिन सुबह 6 बजे तक की रिपोर्ट में देखा गया कि आनंद विहार में AQI 396, बुराड़ी में 394, सोनिया विहार में 392, पंजाबी बाग में 391, और दिल्ली नॉर्थ कैंपस में 390 दर्ज किया गया। अन्य क्षेत्रों जैसे बवाना में 388, अशोक विहार में 384, आया नगर में 352, अलीपुर में 350, चांदनी चौक में 336 रहा।

चोरी-छिपे खूब हुई पटाखों की खरीदारी

अब यह आंकड़े पिछले कुछ सालों के मुकाबले और ज्यादा खराब रहे, यह बताने के लिए काफी रहा कि बैन नाम का था और लोगों ने आसानी से पटाखों की खरीदारी भी कर ली और फिर जमकर आतिशबाजी भी हुई। ऐसी खबरें तो पहले भी आई थीं कि राजधानी और एनसीआर इलाके में चोरी-छिपे पटाखों की खरीदारी हुई है, लोगों ने अलग-अलग जुगाड़ लगा पटाखे खरीदे थे। अब उसका असर यही रहा कि दिवाली वाले दिन बैन के बावजूद पटाखे लगातार फोड़े गए।

पटाखों पर सांप्रदायिक विवाद

अब सुप्रीम कोर्ट ने इस लापरवाही पर नाराजगी जाहिर कर दी है, उनकी तरफ से दिल्ली सरकार से जवाब देने के लिए कहा गया है। वैसे इस बार भी दिवाली पर पटाखे बैन का एक वर्ग ने विरोध किया था। इसे सांप्रदायिक चश्मे से भी देखा गया था, माना गया कि हिंदू त्योहार का विरोध करने के लिए पटाखों पर बैन लगा। यह अलग बात है कि दिल्ली सरकार ने इसे सिर्फ प्रदूषण का मुद्दा बताकर टरका दिया था।