दिल्ली की राजनीति में इस समय कई नाटकीय मोड़ देखने को मिल रहे हैं। एक तरफ अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया है तो वही दूसरी तरफ आतिशी सीएम पद की शपथ लेने वाली हैं। अगले कुछ महीनों में राजधानी में चुनाव होने जा रहे हैं, ऐसे में इन दोनों ही घटनाओं को काफी अहम माना जा रहा है। इस बीच बीजेपी भी दिल्ली में अपना सियासी वनवास खत्म करना चाहती है। दो बार आम आदमी पार्टी के हाथों में करारी शिकस्त झेल चुकी बीजेपी इस बार नई रणनीति पर काम कर रही है।
दिल्ली में बीजेपी का सीएम फेस स्मृति?
असल में ऐसी खबरें चल पड़ी हैं कि दिल्ली में इस बार बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित किया जा सकता है। पार्टी पहले से ही एक सीएम चेहरे के साथ आगे बढ़ सकती है। खबर तो यह भी है कि पूर्व एमपी स्मृति ईरानी को यह बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। अपने बेबाक अंदाज के लिए मशहूर स्मृति को दिल्ली की राजनीति में भी काफी सक्रिय देखा गया है। ऐसे में माना जा रहा है कि पार्टी की टॉप लीडरशिप उनके भविष्य के रोल को लेकर मंथन कर रही है।
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बीजेपी की दिल्ली रणनीति क्या है?
समझने वाली बात यह भी है कि हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में स्मृति को अमेठी से हारना पड़ा था, उसके बाद से ही पार्टी में उनका कद और सरकार में रोल कम हो गया। लेकिन अब जब दिल्ली में पार्टी को फिर खुद को सियासी रूप से जिंदा करना है, पार्टी स्मृति के नाम पर विचार कर रही है। कुछ पार्टी नेताओं का तो यहां तक कहना है कि किसी को दिल्ली चुनाव का चेहरा बता देना इस बात को साबित नहीं करता कि वही सीएम फेस भी रहने वाला है। उसे बस चुनाव की सारी जिम्मेदारी दी जाएगी और पीएम मोदी के बाद राजधानी में सबसे बड़े चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट किया जाएगा।
सिर्फ चेहरा या सीएम फेस, पार्टी में छिड़ी बहस
लेकिन इस विचार से पूरी पार्टी सहमत नजर नहीं आ रही है। कुछ पार्टी नेताओं का भी ऐसा भी मानना है कि अगर किसी को सिर्फ चेहरे के रूप में आगे किया, जनता के लिए मतलब यही जाएगा कि वो राजधानी में सीएम बन सकता है, उसे सीएम चेहरे के रूप में देखा जाएगा। ऐसे में अभी सिर्फ बातचीत का दौर जारी है, किसी भी तरह का फैसला लेने से बचा जा रहा है। वैसे दिल्ली में अकेले स्मृति ईरानी का नाम सीएम रेस में आगे नहीं चल रहा है। उनके अलावा भी कुछ चेहरों पर पार्टी मंथन कर रही है।
यह तीन भी सीएम उम्मीदवार बन सकते हैं
राजनीतिक गलियारों में चर्चा चल रही है कि बीजेपी बासुरी स्वराज, प्रवीन खंडेलवाल, कमलजीत सहरावत और मनोज तिवारी के नाम पर भी मुहर लगा सकती है। पार्टी का मानना है कि अगर किसी सिटिंग एमपी को यह जिम्मेदारी दी गई तो वो ज्यादा प्रभावशाली अंदाज में पार्टी को आगे बढ़ा सकता है। वैसे बीजेपी को लेकर ऐसा कहा जाता है कि वो चुनाव से पहले अपना सीएम चेहरा घोषित नहीं करती है। उसने एक बार दिल्ली में किरण बेदी को जरूर अपना मुख्यमंत्री चेहरा बता दिया था, लेकिन उस चुनाव में आप की आंधी ने पार्टी को धूल चटाने का काम किया था।
बीजेपी सीएम फेस बताने से बचती क्यों है?
उसके बाद से दिल्ली और कई दूसरे राज्यों में पार्टी ने कभी भी अपना सीएम चेहरा घोषित ही नहीं किया है, सिर्फ पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने की कवायद दिखी है। यह भी माना जाता है कि सीएम फेस घोषित ना कर बीजेपी किसी भी तरह की अंदरूनी लड़ाई को दबाने की कोशिश करती है। लेकिन शायद दिल्ली में सियासी वनवास खत्म करने के लिए पार्टी कुछ अलग रणनीति पर काम करने लगी है।