Delhi Assembly Polls 2020: चांदनी चौक संसदीय क्षेत्र से जुड़े नेताओं की जनता बाट जोह रही है। यहां से जुड़े रहे केंद्रीय नेताओं – विजय गोयल, हर्षवर्द्धन, कपिल सिब्बल, अजय माकन, स्मृति ईरानी जो अक्सर चुनाव के समय चौपालों पर पहुंच जाया करते थे, अभी तक नहीं दिखे हैं। निवर्तमान विधायकों के चौपाल भी पाला बदलने से इन दिनों सूने पड़े है। अमूमन हर दल की पालकी ढोने वाले कहार तो यहां तैयार हैं लेकिन दुलहन गायब। कौन लड़ेगा भाजपा से, कौन थामेगा कांग्रेस का हाथ? इस बार आप से कौन आएगा। इस चर्चा के बीच चुनावी मुहाने पर यहां यक्ष प्रश्न ‘दूसरा’ खड़ा है। और वह है विकास के नाम पर महीनों से खुदे पड़े इलाकों में ठप पड़ी जिंदगी।

अधूरी सुंदरीकरण परियोजनाएं, ठप पड़े व्यापार के मुद्दे चर्चा में हैं। सुंदरीकरण की परियोजनाओं पर दलगत राजनीति भारी है। काम ठप पड़ने से दुकानदारों व स्थानीय निवासियों को परेशानी है। वे गुस्से में हैं। उनकी नजर में विकास के नाम पर शुरू हुई यह योजना अव्यावहारिक है। लोगों का आरोप है कि यहां के कटरों, कूंचों तक में फैले कारोबार या रिहाइश के सरोकार की चिंता नहीं है। क्षेत्र की ज्यादातर व्यापारिक एवं नागरिक संस्थाएं यहां निगम और प्रदेश सरकार की खुदायी योजना को भी अव्यावहारिक बताती हैं।

गोलगप्पे व जलेबी की मशहूर दुकानों और पराठे वाली गली तक जाना इन दिनों लोहे के चने चबाने जैसा है। सड़कें खुदी हैं। इस कारण केवल पैदल चला जा सकता है। दुकानदारों का कहना है कि बरसात के समय पूरा चांदनी चौक इलाका नाले में तब्दील हो गया था। दिल्ली के किसी भी कोने से आटो वाला लाल किले की मुख्य सड़क तक लाने को तैयार होता है, लेकिन चांदनी चौक जाने को तैयार नहीं। ई-रिक्शा और साधारण रिक्शा चालक तक गुस्से में हैं।

यहां के व्यवसायी वर्ग तो भाजपा का समर्थक माना जाता रहा है। यहां अच्छी-साखी मुसलिम आबादी भी है। कूचा काबिलेतार के रहने वाले हों या कूचा पंड़ित के, या फिर हों यहां के रोशनपुरा या बाराटूटी के निवासी, कोई अपने पत्ते नहीं खोलना चाहता। वोट किसको देगें, वो नहीं बताते। लेकिन उनके चेहरे बहुत कुछ बयां कर रहे हैं। यहां का सयाना वोटर वक्त के इंतजार में अभी से खड़ा है। कूंचा रहमान, गली चाबूक सवार, बाराटूटी, लालकुआं, फतेहपुरी, जामा मस्जिद के वोटरों के एक वर्ग को मानव अधिकार और संविधान के बुनियादी मूल्यों की रक्षा की चिंता है। यहां के ज्यादातर लोगों ने दबे जुबान से कहा-हम उसे ही वोट देंगे, जो संविधान के बुनियादी मूल्यों की रक्षा को लेकर भी आवाज उठा सके।