मनोज मिश्र

दिल्ली विधानसभा चुनाव जीतने के लिए भाजपा अपने ‘मिशन-60’ अभियान में अगले हफ्ते से पूरी ताकत झोंकने वाली है। अभियान में मंत्रियों और सांसदों को दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में मतदाताओं के बीच जाने और उनसे संपर्क करने की जिम्मेदारी दी जाएगी।

दिल्ली भाजपा के प्रभारी और राज्यसभा सदस्य प्रभात झा ने कहा कि संसद का सत्र 24 नवंबर से 24 दिसंबर तक चलने वाला है। दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिए केंद्र सरकार के 50 मंत्रियों समेत भाजपा के सभी 300 सांसदों को दिल्ली के विभिन्न इलाकों की जिम्मेदारी दी जाएगी। उन्हें शनिवार, रविवार और संसद के काम-काज के बाद दिल्ली के विभिन्न इलाकों में उन्हें लगाया जाएगा। प्रयास होगा कि उसी इलाकों में उन्हें लगाया जाए, जहां से वे परिचित हों यानी उनके राज्य या क्षेत्र के लोग रहते हों।

चुनाव के लिए पूरी दिल्ली में 2007 शक्ति केंद्र बनाए गए हैं। हर मंडल में आठ से दस शक्ति केंद्र की संरचना की गई है कि हर मतदान केंद्र तक चुनाव प्रचार में लगने वाले नेता सीधे तरह से पहुंच जाएं। प्रभात झा का कहना था कि पूर्वांचल के लोगों का भाजपा में जिस गति से रुझान बढ़ा है उससे साबित हो रहा है कि भाजपा का छठ पर सार्वजनिक अवकाश घोषित करवाने का फैसला सही था। उनका प्रयास होगा कि भाजपा के टिकटों में पूर्वांचल के लोगों की भागीदारी बढ़वाकर उनके समर्थन को स्थाई बनाना। विधानसभा चुनाव की तारीख घोषित करने का काम चुनाव आयोग को करना है लेकिन भाजपा अपने हिसाब से चुनाव की तैयारी में जुट गई है। उनका मानना था कि दिल्ली का चुनाव अकेला होगा और वह सीधे भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की देख-रेख में होगा।

बगैर मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित किए चुनाव लड़ने पर प्रभात झा का कहना था कि चुनाव तो सीधे देश के सबसे लोकप्रिय नेता और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में होगा। चुनाव के बाद मुख्यमंत्री तय करने में तो महज पांच मिनट लगने हैं। उनका कहना था कि जब माहौल हमारे अनुकूल न थे, तब भी साल भर पहले भाजपा 32 सीटें लेकर नंबर एक थी। अब तो सारा ही माहौल भाजपा के हिसाब से है। महाराष्ट्र जो कांग्रेस का गढ़ था, वहां भाजपा की सरकार बन गई। हरियाणा, जहां संगठन का मूल ढांचा भी नहीं था और महज चार सीटें आती थीं, वहां पूर्ण बहुमत की सरकार बन गई। दिल्ली पर हरियाणा का काफी प्रभाव पड़ता है। इस माहौल में बिना प्रभाव और दबाव के उम्मीदवार तय किए जाएंगे और उम्मीदवार तय करने का आधार केवल जीतने वाला उम्मीदवार बनेगा।

झा के मुताबिक जो माहौल है उसमें भाजपा का किसी से मुकाबला ही नहीं है। आम आदमी पार्टी (आप) की विश्वसनीयता खत्म हो गई है। वे भगौड़े साबित हुए हैं। दिल्ली की जनता के सामने भगौड़ा और नरेंद्र मोदी के साथ मिलकर दिल्ली का विकास करने वाली भाजपा सरकार में से किसी एक को चुनने का अवसर होगा। लगता तो यही है कि आप से बेहतर तो कांग्रेस के नतीजे होंगे। आप के नेता अपने 49 दिन की सरकार की उपलब्धियां गिना कर और भाजपा शासित नगर निगम के भ्रष्टाचार को मुद्दा बना कर चुनाव लड़ेंगे। इस पर प्रभात झा का कहना था कि अब आप के नेताओं की बातों को कोई गंभीरता से नहीं लेता है इसलिए हमें भी नहीं लेना चाहिए। अगर उनकी सरकार बेहतर काम कर रही थी और उनके पास करने के लिए काफी योजनाएं थीं तो वे सरकार छोड़ कर क्यों भागे? केवल नारों या सपने बेचकर सरकार नहीं चलाई जा सकती है। कायदे में दिल्ली की जनता इस बार भाजपा को लोकसभा चुनाव जैसा भारी बहुमत देना तय कर चुकी है। भाजपा को 70 में से 60 सीटें आने की उम्मीद है। भाजपा के लाखों कार्यकर्त्ता और नेता पार्टी के मिशन -60 के मुहिम में जुट गए हैं। वे बृहद योजना बना कर सवा ग्यारह हजार मतदान केंद्रों पर काम कर रहे हैं। भाजपा का प्रयास है कि दिल्ली के एक-एक मतदाता तक वे पहुंचें और भाजपा की दिल्ली के लिए बन रही योजनाओं में उनकी भागीदारी करवाएं।