कविता जोशी

देश के सुरक्षा प्रतिष्ठानों पर बढ़ते साइबर हमलों के मद्देनजर रक्षा मंत्रालय ने एक हालिया आदेश में अपने सभी कर्मियों के लिए ‘हार्डेंड लिनेक्स परिचालन तंत्र’ पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा स्वदेशी आधार पर विकसित किए गए ‘माया साफ्टवेयर’ के जरिए ही इंटरनेट के इस्तेमाल की व्यवस्था लागू कर दी है। जो कि उसके कंप्यूटरों को साइबर हमलों से संपूर्ण सुरक्षा कवच प्रदान करेगी।

मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि इससे अब माइक्रोसाफ्ट के विंडोज की जगह पर मंत्रालय के सभी कंप्यूटरों पर हार्डेंड लिनेक्स तंत्र और डीआरडीओ के माया साफ्टवेयर के जरिए ही इंटरनेट का इस्तेमाल किया जा सकेगा। यह कंप्यूटर परिचालन तंत्र भारत ही नहीं पूरी दुनिया में मौजूद सुरक्षा क्षेत्र की एजंसियों, संवेदनशील कंपनियों, पेटेंट और वैज्ञानिक सूत्र बनाने वाले कार्यालयों द्वारा बड़े पैमाने पर प्रयोग किया जाता है। ये एक ऐसा चक्रव्यूह है जिसे साइबर हमले के दौरान कोई भी हैकर भेद नहीं सकेगा। मंत्रालय के साथ-साथ इस तंत्र को जल्द ही सेना, वायुसेना और नौसेना द्वारा प्रयोग किया जा सकता है।

इन्हें नहीं होगी इंटरनेट प्रयोग की अनुमति : सूत्रों ने बताया कि डीआरडीओ ने पिछले अगस्त माह में ही माया साफ्टवेयर को विकसित किया है। जिसे हार्डेंड लिनेक्स परिचालन तंत्र के जरिए इस्तेमाल करने की व्यवस्था बनाई गई है। यह समूचा तंत्र 15 दिन पहले ही रक्षा मंत्रालय में लगाया गया है। इसके साथ ही रक्षा मंत्रालय द्वारा की गई इस व्यवस्था में सैन्य और असैन्य कर्मियों सहित संयुक्त सचिव से निचले स्तर या रैंक (निदेशक, सहायक निदेशक, सेक्शन अधिकारी) के सभी अधिकारियों के लिए इंटरनेट के इस्तेमाल पर रोक लगाई गई है। मंत्रालय के मीडिया से संवाद करने वाले सार्वजनिक सूचना निदेशालय और उसके अधिकारियों को फिलहाल इससे बाहर रखा गया है।

अनुभव से भविष्य में होंगे बदलाव

सूत्र बताते हैं कि डीआरडीओ अभी मंत्रालय में इस तंत्र को लगाकर उसकी शुरुआती जांच कर रहा है। लेकिन अब इसके लगने के बाद जो भी प्रतिक्रियाएं सामने आएंगी। उसके आधार पर इसमें भविष्य में जरूरी बदलाव किए जाएंगे। रक्षा मंत्रालय के अलावा केंद्र के कुछ अन्य मंत्रालय भी हैकरों से अपने कंप्यूटरों को बचाने के लिए इस तंत्र को लगाने के बारे में विचार कर रहे हैं।