जम्मू-कश्मीर में स्थित सियाचिन ग्लेशियर की हिफाजत में अब तक 1100 से ज्यादा जवानों ने अपनी शहादत दे दी। रविवार को भारत के नए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आर्मी चीफ के साथ शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देने सियाचिन स्थित स्मारक स्थल पहुंचे। यहां उन्होंने बेस कैंप में जवानों से मुलाकात भी की और उनके साथ तस्वीरें भी खिंचवाई। इस मौके पर राजनाथ सिंह ने कहा, “सियाचिन ग्लेशियर की रक्षा करते हुए 1100 से अधिक सैनिकों ने अपनी शहादत दी है। राष्ट्र हमेशा उनकी सेवा और बलिदान का ऋणी रहेगा। सियाचिन में हमारे सैनिक विषम परिस्थितियों में भी बड़े साहस और धैर्य के साथ अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। मैं उनकी दृढ़ता और वीरता को सलाम करता हूं।” इस मौके पर उनके साथ आर्मी चीफ विपिन रावत भी मौजूद रहे।

रक्षा मंत्री बनने के बाद पहली बार राजनाथ सिंह दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर पहुंचे। यह समुद्र तल से करीब 20 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां सालो भर बर्फ की मोटी चादर बिछी रहती है। इसे दुनिया का सबसे ठंडा युद्धक्षेत्र माना जाता है। यहां रहना मुश्किलों भरा होता है। बर्फीली हवाएं और हिम स्खलन का खतरा हमेशा बना रहता है। सोमवार को यहां पहुंचे राजनाथ सिंह ने लेह में तैनात 14 पलटनों से मौजूदा हालात के बारे में जानकारी ली। ये पलटन ही पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और चीन से सटी सीमाओं की देखरेख करते हैं।

सियाचिन का न्यूनतम तापमान माइनस 50 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है। यदि ऐसे में थोड़ी भी चूक हुई तो शरीर को लकवा मारने या जान जाने का खतरा हो सकता है। बेहद खराब मौसम के बावजूद हजारों जवान इस बर्फीली चोटी पर डेरा जमाए रहते हैं। जब सैनिकों को एक जगह से दूसरे जगह जाना होता है तो सब के सब एक साथ चलते हैं। सभी का एक पैर रस्सी से बंधी होती है ताकि यदि कहीं वे फिसल जाएं तो अन्य साथियों से अलग नहीं हो सकें। सभी के पास बर्फ काटने वाली कुल्हाड़ी, हथियार और अन्य सामान होते हैं। ये खाने में ज्यादातर तरल पदार्थ लेते हैं। पानी पीने के लिए जवानों को बर्फ पिघलाना पड़ता है।