पिछले दिनों, केंद्र सरकार ने एक हलफनामा दायर सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जिन राज्यों में हिंदुओं की संख्या कम है वहां की राज्य सरकारें उन्हें अल्पसंख्यक का दर्जा दे सकती हैं। इसके बाद से अल्पसंख्यक नीति में बदलाव को लेकर डिबेट तेज हो गई है। इसी मुद्दे पर एक टीवी डिबेट में भाजपा के राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी और मुस्लिम पैनलिस्ट के बीच तीखी बहस देखने को मिली। इस दौरान सुधांशु त्रिवेदी ने सपा के सांसद एसटी हसन के एक बयान का जिक्र किया।
न्यूज18 के डिबेट शो ‘आर-पार’ के दौरान, सुधांशु त्रिवेदी ने सपा सांसद एसटी हसन के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर यूनिफॉर्म सिविल कोड कानून आया तो मुसलमानों के सारे अधिकार खत्म हो जाएंगे और वह दूसरी शादी नहीं कर पाएंगे। सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि चार बीवियां तो होती है न। उनके इस बयान का मुस्लिम पैनलिस्ट ने विरोध किया और कहा कि नहीं, चार पत्नियां नहीं होती हैं, वो त्रेता में होता था लेकिन अब नहीं होता, कलियुग में नहीं होता।”
मुस्लिम पैनलिस्ट ने सुधांशु त्रिवेदी के बयान पर कहा, “ये मुझे दिल्ली के ऐसे दस मुसलमान दिखा दें जिनकी चार बीवियां हैं।” इस पर अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि मैं 1000 ऐसे मुसलमान दिखा दूंगा जिनके 10 से 20 बच्चे हैं। इस बीच, सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, “जहां मुसलमानों का शासन होगा वहां 4 पत्नियां होगीं वहां कोई कानूनी रोक नहीं है।”
शोएब जमई के एक बयान पर सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, “जहां मुस्लिम बहुमत में हो जाते हैं, एससी-एसटी का आरक्षण खत्म, कश्मीर में था? नहीं। जिस यूनिवर्सिटी में मेजॉरिटी हो गई वहां एससी-एसटी रिजर्वेशन खत्म। एएमयू और जामिया मिल्लिया इस्लामिया में एससी-एसटी का आरक्षण खत्म। एक जमाने में पाकिस्तान-बांग्लादेश भी तो इसी देश का हिस्सा था, वहां भी तो एससी-एसटी और ओबीसी रहते थे। क्या हुआ उनके साथ?”
अल्पसंख्यक नीति पर बदलाव को लेकर जारी बहस के बीच, असम के सीएम हिमंता बिस्व शर्मा का बुधवार को एक बयान आया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि राज्य सरकार मौजूदा मानदंडों के आधार पर नहीं, बल्कि जिलेवार तरीके से धार्मिक समूहों को अल्पसंख्यकों का दर्जा देना चाहती है।