किसानों का आंदोलन जारी है। इसी विषय पर चर्चा के दौरान न्यूज 24 पर एक पैनलिस्ट देवेंद्र शर्मा ने कहा कि जब ये रिफॉर्म 20 अमीर देशों में फेल हो चुकी है तो हम इसे अपने देश में क्यों लाना चाहते हैं? अगर अमीर देशों में किसानों को फायदा हुआ होता तो सरकारों को 620 बिलियन डॉलर की सपोर्ट किसानों को क्यों देनी पड़ती? शो के दौरान एंकर ने पैनलिस्ट से पूछा कि 80 दिन हो गए, 3 हफ्ते हो गए आखिरी बातचीत किये हुए…रास्ता तो निकालना होगा। आरोप-प्रत्यारोप भी हो गये हैं। अब संसद भी खत्म हो गई। किसान अभी भी सड़क पर बैठे हैं। किसान तीन कानून रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं। तो आखिर रास्ता क्या है?
इसपर शो में पैनलिस्ट के तौर पर मौजूद कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा ने कहा कि सारा देश इस मुद्दे को लेकर चिंतित है। इस मुद्दे का समाधान जरुरी है ताकि किसान अपने घर जा सकें। पैनलिस्ट ने कहा कि अमेरिका में 1979 में एक आंदोलन हुआ था। उस वक्त भी हजारों ट्रैक्टर वॉशिंग्टन डीसी में आए। थे। उस वक्त भी किसान गारंटेड इन्कम मांग रहे थे कि उन्हें कॉस्ट ऑफ प्रोडक्शन के ऊपर प्रॉफिट मिले। लेकिन वहां की सरकार ने ऐसा नहीं किया और आज वहां छोटे किसान खेती से बाहर हो गये हैं। मैं यह जानना चाहता हूं कि ये जो रिफॉर्म्स दुनिया में जहां कहीं भी लाए गए हैं वहां कहां ऐसा हुआ है कि इससे छोटे किसानों को मदद मिली है। छोटे किसान बिल्कुल ही किसानी से बाहर हो जाएंगे।
जब ये रिफाॅर्म 20 अमीर देशों में फेल हो चुकी है तो हम इसे अपने देश में क्यों लाना चाहते हैं ? अगर अमीर देशों में किसानों को फायदा हुआ होता तो सरकारों को 620 बिलियन डाॅलर की सपोर्ट किसानों को क्यों देनी पड़ती ? @Devinder_Sharma @sandeep_news24 #farmersrprotest #सबसेबड़ासवाल pic.twitter.com/HR5Us62hYe
— News24 (@news24tvchannel) February 13, 2021
किसान आंदोलन का आज यानी रविवार को 81वां दिन है। इस बीच, हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने विवादास्पद बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अगर किसान घर पर होते तो उनकी मौत नहीं होतीं। क्या 6 महीने में 200 लोग भी नहीं मरेंगे? किसानों की मौतें उनकी इच्छा से हुई है। हालांकि बाद में दलाल ने सफाई भी दी कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया।
उधर, भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने एक बार फिर कहा कि केंद्र सरकार के विवादित कृषि कानूनों का विरोध तब तक तेज होता रहेगा जब तक कि किसानों की मांगें नहीं मानी जातीं। टिकैत ने यह भी कहा कि गर्मियों में धरना स्थलों पर टिकने के लिए किसानों को AC और कूलर की जरूरत पड़ेगी।
ऐसे में सरकार को बिजली कनेक्शन देने चाहिए नहीं तो हमें जेनरेटर लगाने पड़ेंगे। जिस तरह लोग हमें पानी उपलब्ध करवा रहे हैं, उसी तरह जेनरेटर के लिए डीजल भी मुहैया करवा देंगे।