प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वाराणसी में काशी विश्वनाथ गलियारे को सोमवार को लोगों को समर्पित करेंगे। उत्तर चुनावों से पहले इस कार्यक्रम का सियासीकरण भी जमकर हो रहा है। सियासी गलियारों से लेकर टीवी डिबेट तक इस विषय पर जोरदार चर्चा देखने को मिल रही है। समाचार चैनल आजतक के टीवी डिबेट कार्यक्रम ‘हल्ला बोल’ में काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर जोरदार बहस हुई, सपा प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने कहा कि मंदिर को लेकर कोई सवाल नहीं उठा रहा है लेकिन भाजपा नेता अपने तरीके से उस पर बयानबाजी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी इस लिए विपक्ष के बहाने सवाल उठा रही है क्योंकि उनके मन में चोर है।

सपा प्रवक्ता के इस बयान पर भाजपा प्रवक्ता राजीव जेटली ने तंजात्मक लहजे में कहा कि आगे बोलिए, चललिए आगे बढ़िए। तभी सपा नेता ने बीजेपी प्रवक्ता से सवाल पूछा कि आप ये बताइए कि बाबा काशी विश्वनाथ के धाम में कितनी तरह की आरतियां होती हैं। क्या आपको एक भी मंत्र आता है। इस दौरान राजीव जेटली लगातार बोलते रहे कि आप अपने ट्रैक पर आइए, भदौरिया ने और सख्त लहजे में पूछा कि बता दो कि कौन सी आरती पढ़ी जाती है। जेटली पर निशाना साधते हुए सपा प्रवक्ता ने फिर पूछा कि क्या कभी मंदिर गए हो।

इसके जवाब में राजीव जेटली ने कहा कि आप अपने ट्रैक पर आ गए हैं, मंदिर किस दरवाजे से गए और किस दरवाजे से आए ये मैं आपको नहीं बताउंगा और न ही मैं यहां आपको आरती सुनाने के लिए बैठा हूं, आरती मैं मंदिर के मंदिर बाबा के सामने पढ़ूंगा। इसके जवाब में भदौरिया ने कहा कि ये आपका असली चेहरा है, बाबा के नाम पर राजनीति बंद कीजिए, बाबा सब देख रहे हैं वो 2022 में डमरू बजा देंगे आपका।

लोगों को काशी विश्वनाथ गलियारा समर्पित करने हेतु सोमवार को यहां आ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत के लिए बनारस की कला एवं सांस्कृतिक विरासत को दर्शाने वाले विशाल भित्ति चित्र बनाए गए हैं और काशी विश्वनाथ मंदिर स्थल के पास कई इमारतों को रोशन किया गया है। करीब 339 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित काशी विश्वनाथ धाम के पहले चरण का उद्घाटन मुख्य कार्यक्रम होगा।

भारत और विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करने वाले प्राचीन मंदिर में प्रार्थना करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी महत्वाकांक्षी काशी विश्वनाथ गलियारे को लोगों को समर्पित करेंगे। इस कार्यक्रम की तैयारी के लिए रविवार देर रात तक निर्माण कर्मी पत्थरों को चमकाने में व्यस्त रहे, श्रमिकों ने मंदिर परिसरों को विशेषकर गेंदे के फूलों से सजाया और कर्मचारी ललिता घाट को तैयार करने के लिए तमाम व्यवस्थाएं करने में जुटे रहे।