पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना के वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) को पार कर गालवान और हॉट स्प्रिंग में अतिक्रमण करने से भारत आश्चर्यचकित है, क्योंकि ये वह दो क्षेत्र हैं जिसे लेकर दोनों देशों के बीच कभी विवाद नहीं रहा है। पंगोंग त्सो की तरह यह दो क्षेत्र विवादित नहीं हैं। ये दोनों ही इलाके उन 23 विवादित क्षेत्रों में शामिल नहीं हैं, जिन्हें भारत सरकार ने 1993 में एलएसी को स्वीकार किए जाने के बाद चिह्नित किया था।

एलएसी में विवादित 23 क्षेत्रों में से 11 लद्दाख के पश्चिमी क्षेत्र के अंतर्गत चिह्नित हैं,  मध्य क्षेत्र में चार और पूर्वी क्षेत्र में आठ। इन क्षेत्रों में से अधिकांश की पहचान 1990 के दशक में भारत-चीन संयुक्त कार्य समूहों (JWG) की कई बैठकों में दोनों पक्षों के बीच बातचीत के दौरान हुई थी। इनकी पहचान 2000 में मध्य क्षेत्र के लिए नक्शे के आदान-प्रदान के दौरान और 2002 में पश्चिमी क्षेत्र के लिए नक्शे की तुलना के दौरान हुई थी।

दोनों सेनाओं के बीच मौजूदा तनाव गालवान और हॉट स्प्रिंग को लेकर है जो उन 23 विवादित क्षेत्रों की सूची में शामिल नहीं हैं। एक अधिकारी ने कहा, “दोनों पक्षों ने गालवान और हॉट स्प्रिंग को ‘सेटल्ड क्षेत्र’ माना था ऐसे में चीन की यह कार्रवाई थोड़ा आश्चर्यचकित करने वाली है।अधिकारी ने आगे कहा कि अगर  कोविद -19 महामारी के चलते हमारा अभ्यास कार्यक्रम बाधित नहीं हुआ होता तो हम पहले ही बेहतर तरीके से जवाब देने के लिए तैयार रहते।

अधिकारी ने ऐसा कहा क्योंकि यह कभी भी एक विवादित क्षेत्र के रूप में पहचाना नहीं गया था। अधिकारी ने कहा “हॉट स्प्रिंग सेक्टर एक ITBP सेक्टर रहा है। 2015 में चीन को पीपी 14 के पास एक जेसीबी का उपयोग कर ट्रैक खोदते हुए देखा गया था। तब भारत ने उनके उपकरण जब्त कर लिए थे। बाद में चीनी सेना के कुछ लोग हमारे पास आए और उन्होंने स्वीकारा कि वे भारतीय जमीन पर थे। उसके बाद हमने उनके उपकरण लौटा दिए।”