किसान संगठनों के ऐलान के बाद पिछले एक साल से भी अधिक समय से दिल्ली की सीमा पर धरना दे रहे किसान अपने घर की ओर लौटने की तैयारी में हैं। गुरुवार को सरकार की तरफ से प्रस्ताव भेजे जाने के बाद किसान संगठनों ने आंदोलन समाप्त करने का ऐलान किया। आंदोलन समाप्त होने की घोषणा के बाद किसान नेता दर्शनपाल ने कहा कि जो किसान नेता राजनीति में जाना चाहते हैं उन्हें एसकेएम छोड़ देना चाहिए। उनके इस बयान के बाद से ही कयासों का दौर शुरू है और यह अंदेशा लगाया जा रहा है कि उनका संकेत राकेश टिकैत की ओर है।
किसान नेता दर्शनपाल ने प्रेस कांफ्रेंस में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि किसान मोर्चा ने 15 जनवरी को एक बैठक बुलाई है जिसमें यह देखा जाएगा कि क्या सरकार ने प्रस्ताव में लिखी गई मांगों को पूरा किया है या नहीं। 15 जनवरी की बैठक में यह भी चर्चा होगी कि संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) को राष्ट्रीय स्तर के मोर्चा के रूप में कैसे पेश किया जाए। जो किसान नेता राजनीति में जाना चाहते हैं उन्हें एसकेएम छोड़ देना चाहिए। एसकेएम गैर राजनीतिक रहेगा।
किसान नेता दर्शनपाल की टिप्पणी को राकेश टिकैत से जोड़कर देखा जा रहा है। दरअसल किसान नेता राकेश टिकैत पर कई बार किसान आंदोलन को लेकर राजनीति करने का आरोप लगता रहा है। साथ ही उनपर राजनीतिक बयानाबाजी का आरोप भी लग चुका है। पिछले दिनों हरियाणा के ऐलनाबाद विधानसभा उपचुनाव में उन्होंने इशारों इशारों में आईएनएलडी उम्मीदवार अभय सिंह चौटाला का समर्थन किया था।
राकेश टिकैत ने किसान महापंचायत में कहा था कि यदि कोई व्यक्ति छह महीने पहले आपके पास अपना बैग छोड़ कर वापस मांगने आया है तो उसे दे दो। उनके इस बयान को अभय चौटाला से जोड़कर देखा जा रहा था। दरअसल अभय चौटाला ने केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन के समर्थन में विधायक पद छोड़ दिया था और बाद में ऐलनाबाद विधानसभा उपचुनाव लड़ा।
गौरतलब है कि गुरुवार को सरकार के कृषि सचिव संजय अग्रवाल की तरफ से भेजे गए प्रस्ताव के बाद किसान संगठनों ने आपसी सहमति बनाकर आंदोलन खत्म करने की घोषणा की। सरकार और किसान संगठनों के बीच जिन मुद्दों को लेकर सहमति बनी है उसमें एमएसपी को लेकर एक कमेटी बनाने, आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारी किसानों पर दर्ज हुए मुकदमे वापस लेने और मृतक किसानों के परिवारजनों को मुआवजा देने जैसे मुद्दे शामिल हैं। साथ ही प्रस्ताव में सरकार की तरफ से पराली जलाने को लेकर जुर्माने और सजा के प्रावधान को हटाने की बात भी कही गई है।