हाल ही में जब श्रीनगर के हजरतबल दरगाह में अशोक स्तंभ वाले एक शिलापट्ट पर तोड़फोड़ हुई तो एक बार फिर जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष दरख्शां अंद्राबी का नाम चर्चा में आया। कई राजनीतिक दलों ने इस शिलापट्ट को लगाए जाने के लिए दरख्शां से माफी मांगने और इस्तीफा देने को कहा।
खुद को ‘कट्टर राष्ट्रवादी’ बताने वालीं दरख्शां अंद्राबी एक वक्त में सोशलिस्ट डेमोक्रेटिक पार्टी (SDP) की संस्थापक थीं लेकिन साल 2014 तक वह बीजेपी के करीब आ गईं।
2014 के जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव से पहले दरख्शां ने अपनी पार्टी SDP का बीजेपी में विलय कर दिया था। वह मौजूदा मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के खिलाफ चुनाव भी लड़ चुकी हैं।
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धीरे-धीरे दरख्शां का कद बीजेपी में बढ़ने लगा और मार्च, 2022 में उन्हें वक्फ बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया। उस वक्त जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू था। इस फैसले की जम्मू-कश्मीर में आलोचना भी हुई।
कौसर जान से बनीं दरख्शां अंद्राबी
अंद्राबी मूल रूप से दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले के लखदीपोरा गांव की रहने वाली हैं। उनके पिता गुलाम नबी शाह कई दशक पहले श्रीनगर चले गए थे। दरख्शां का असली नाम कौसर जान था, जिसे उन्होंने कॉलेज के दिनों में बदलकर दरख्शां कर लिया। दरख्शां का मतलब रोशनी होता है।
दरख्शां अंद्राबी ने कश्मीर विश्वविद्यालय से उर्दू में मास्टर डिग्री ली है। उन्होंने पंजाब के गुरु नानक देव विश्वविद्यालय से उर्दू में डॉक्टरेट किया है।
‘शीराजा’ की संपादक रहीं दरख्शां
दरख्शां पहली बार चर्चा में तब आई थीं जब वह जम्मू-कश्मीर कला और संस्कृति अकादमी के द्वारा प्रकाशित उर्दू पत्रिका ‘शीराजा’ की संपादक बनीं। दरख्शां अपने ब्लॉग में कहती हैं कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग इलाकों में समुदायों के लोगों के बीच की दूरी को कम किया है और भारत की सेना के लिए भी काफी लिखा है।
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अध्यक्ष बनने की योग्यता पर सवाल
पिछले कुछ सालों में बीजेपी के भीतर और बाहर दरख्शां के दुश्मन और दोस्त दोनों ही बने हैं। घाटी में कुछ लोग उनके वक्फ बोर्ड का अध्यक्ष बनने की योग्यता पर सवाल उठाते हैं तो जम्मू-कश्मीर बीजेपी में एक वर्ग विवादित बयानों को लेकर उनकी आलोचना करता है।
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि एक ऐसे शख्स को वक्फ बोर्ड का अध्यक्ष बनाना जो जनता की नजर में विवादास्पद हो, वह यहां की मुस्लिम बहुसंख्यक आबादी को लेकर सरकार की असंवेदनशीलता को दिखाता है। बीजेपी के एक नेता कहते हैं कि पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में घाटी में बीजेपी एक भी सीट नहीं जीत सकी और इसकी वजह दरख्शां ही थीं।
दरख्शां पर आरोप है कि उन्होंने वक्फ बोर्ड के अंदर गुट बना लिया है। कुछ लोग उनकी तारीफ भी करते हैं और कहते हैं कि उनके कार्यकाल के दौरान कई दरगाहों को फिर से बनाया गया है।
दरख्शां के साथ केंद्रीय नेतृत्व का पूरा समर्थन है और इस वजह से तमाम सवाल उठने के बावजूद भी वह वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष बनी हुई हैं।
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