Opposition On PMLA Verdict: कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सहित 17 विपक्षी राजनीतिक पार्टियों ने प्रवर्तन निदेशायल को मिले अधिकारों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निराशा जताई है। विपक्ष के इन दलों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा, इस फैसले से सरकार के हाथ और ज्यादा मजबूत होंगे। विपक्षी दलों का कहना है कि धनशोधन निवारण अधिनियम के तहत प्रवर्तन निदेशालय को मिले अधिकारों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सियासी बदला लेने में लगी सरकार और भी ज्यादा ताकतवर हो जाएगी। सभी दलों ने एक संयुक्त बयान में कहा हमें इस बात की उम्मीद है कि सर्वोच्च न्यायालय ये निर्णय एक अल्पकालिक समय के लिए लगाएगाऔर आगे संवैधानिक प्रावधानों की जीत होगी।
विपक्षी दलों ने कहा, ‘हम सुप्रीम कोर्ट के उस हालिया आदेश के होने वाले दूरगामी परिणामों को लेकर गहरी चिंता प्रकट करते हैं जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने धनशोधन निवारण कानून, 2002 में किए गए संशोधनों को पूरी तरह से बरकरार रखा तथा इसकी छानबीन नहीं की कि इनमें से कुछ संशोधन वित्त विधेयक के जरिये किए गए।’
Opposition ने BJP पर साधा निशाना
विपक्षी राजनीतिक दलों ने कहा हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले हमेशा से सम्मान करते रहे हैं और करते रहेंगे। विपक्षी नेताओं ने अपने सामूहिक बयान में बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, इन संशोधनों ने इस फैसले से सरकार के हाथों को और भी ज्यादा मजबूत किया है,वो भी ऐसी सरकार जो कि पूरी तरह से सियासी प्रतिशोध के लिए जानी जाती हो। हमें उम्मीद है कि यह खतरनाक फैसला अल्पकालिक होगा और संवैधानिक प्रावधान जल्द ही लागू होंगे।
इन Political Parties ने किए हस्ताक्षर
विपक्षी दलों की ओर से जारी किए गए इस साझा बयान पर जिन दलों ने हस्ताक्षर किए हैं उनमें कांग्रेस, टीएमसी,आप, राकांपा, डीएमके, शिवसेना,आईयूएमएल, आरएसपी, राजद,एमडीएमके, माकपा,रालोद, और भाकपा शामिल हैं।
जयराम रमेश ने Tweet कर साझा किया संयुक्त बयान का हस्ताक्षर
वहीं इसके पहले कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने ट्विटर पर संयुक्त बयान साझा करते हुए कहा कि तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सहित 17 विपक्षी दलों, साथ ही एक निर्दलीय राज्यसभा सांसद ने एक संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर किए हैं। इसमें सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के लंबे समय तक प्रभाव पड़ने की गहरी आशंका व्यक्त की गई है। इन नेताओं ने पीएमएलए, 2002 में संशोधन और इसकी समीक्षा की मांग की है।