हैदराबाद यूनिवर्सिटी में दलित छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या मामले में मारपीट का आरोप लगाने वाले एबीवीपी नेता के दावे पर सवाल उठ रहे हैं। पिछले साल एबीवीपी नेता नंदनम सुशील कुमार ने आरोप लगाया था कि उसे अम्बेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन के सदस्यों ने पीटा। चार अगस्त को उसके भाई ने उसे अर्चना अस्पताल में भर्ती कराया। अस्पताल की रिपोर्ट के अनुसार सात अगस्त को उसका अपेंडिक्स का ऑपरेशन किया गया था। हैदराबाद यूनिवर्सिटी की सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉ अनुपमा राव ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि, ‘सुशील कुमार की मेडिकल रिपोर्ट को देखने के बाद भी मेरे समझ में नहीं आया कि मारपीट के बाद उसे अपेंडिक्स हुआ। उसके बाएं कंधे पर चोट का निशान था। मैं नहीं कह सकती कि उसे पीटा गया। मैंने उसकी जांच नहीं की क्योंकि वह मेरे पास नहीं आया था और अस्पताल की जांच में भी उसकी बाहरी चोट का जिक्र नहीं है।’
डॉ राव ने बताया कि, ‘मैंने सुशील कुमार से पूछा कि मारपीट के बाद वह यूनिवर्सिटी हैल्थ सेंटर में क्यों नहीं गया। उसने कहा कि अंबेडकर स्टूडेंट्स यूनियन के सदस्यों ने उसे रोका। फिर से मारपीट के डर से वह कैंपस से बाहर भागा और अपने भाई को बुलाया।’ अर्चना अस्पताल के जनरल फिजीशियन डॉ चेन्ना रेड्डी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि, 26 वर्षीय पुरुष को चार अगस्त को कथित रूप से मारपीट के मामले में भर्ती कराया गया। उसके पेट में दर्द और सांस लेने में तकलीफ बताई गई। मरीज को दो दिन तक अस्पताल में रखा गया। अचानक से मरीज ने दांयी तरफ तेज पेट दर्द की शिकायत की। सात अगस्त को जांच में एक्यूट अपेंडिक्स सामने आया। मरीज की सर्जरी सात जनवरी को की गई।’
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वहीं ड्यूटी सिक्योरिटी ऑफिसर दिलीप सिंह ने मारपीट के मामले के बारे में बताया कि, मैंने अंबेडकर स्टूडेंट्स यूनियन के सदस्यों को सुशील कुमार को मारते नहीं देखा। मेरे सामने तो ऐसा नहीं हुआ। मेरे सामने उनके बीच बहस चल रही थी। बाद में सुशील ने माफी मांग ली थी। इसके बाद हम सिक्योरिटी ऑफिस की ओर जाने लगे। जब सुशील जीप में बैठा था तभी अंबेडकर स्टूडेंट्स यूनियन के सदस्यों ने उसे उतारने की कोशिश की।’ डॉ राव और दिलीप सिंह की रिपोर्ट के बाद ही अंबेडकर स्टूडेंट्स यूनियन के पांच सदस्यों को चेतावनी दी गई थी। बाद में 31 अगस्त को रोहित वेमुला समेत पांच छात्रों को सस्पेंड करने की सिफारिश की गई।