राजस्थान के बूंदी जिले में एक दलित दूल्हे की बारात निकासी अपने ही गांव में पुलिस सुरक्षा के बीच निकाली गई। दरअसल दलित दूल्हे के घोड़ी पर बैठने को लेकर तनाव की आशंका थी, जिसके चलते दूल्हे और उसके परिजनों ने सुरक्षा के लिए पुलिस को गुहार लगायी थी।
घटना बूंदी जिले के सदर थाना क्षेत्र के सगावदा गांव की है। जहां रहने वाले परसराम मेघवाल की शादी थी। परसराम पेशे से शिक्षक है। परसराम ने अपनी शिकायत में कहा था कि उसका गांव गुर्जर बहुल्य है। शादी में बारात निकासी के समय उसके घोड़ी पर बैठने पर गुर्जर समाज के लोग आपत्ति कर सकते हैं और इससे तनाव पैदा हो सकता है।
न्यूज 18 की खबर के अनुसार, शिकायत मिलने के बाद शादी वाले दिन डीएसपी के नेतृत्व में भारी पुलिस बल गांव में तैनात रहा। जिसके चलते बारात शांतिपूर्ण निकल सकी। खबर के अनुसार, दलित समाज के लोगों को शादी के दौरान घोड़ी पर बैठ कर बारात निकालने से रोका जाता है।
वहीं बारात निकासी के लिए पुलिस बुलाने से गांव के गुर्जर और अन्य समुदाय के लोग नाराज हैं। लोगों का कहना है कि परसराम ने गांव का नाम बदनाम किया है। लोगों ने दलित दूल्हे के घोड़ी पर चढ़ने पर किसी तरह की रोक से इंकार किया।
बता दें कि दलित दूल्हे को घोड़ी चढ़ने या फिर बारात निकालने पर ऊंची जाति के लोगों के विरोध की यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी इस तरह की घटनाएं देश के अलग-अलग हिस्सों से आ चुकी हैं। बीते साल गुजरात के मेहसाणा में भी एक दलित दूल्हे की बारात घोड़ी पर निकलने पर गांव की ऊंची जाति के अन्य लोगों ने दलित परिवार का बहिष्कार कर दिया था। इसके साथ ही परिवार पर जुर्माना भी लगाया गया था।
इसी तरह उत्तर प्रदेश में भी एक गांव में दलित दूल्हे की बारात पुलिस सुरक्षा में निकाली गई थी, क्योंकि गांव के ऊंची जाति के लोगों ने दलितों की बारात घोड़ी पर निकलने पर आपत्ति जतायी थी।