सोमवार को उत्तर हिंद महासागर (North Indian Ocean) क्षेत्र में सन 2000 के बाद से मार्च में पहला चक्रवात आने की संभावना है। अगर ऐसा होता है, तो चक्रवाती तूफान को “असानी” कहा जाएगा, जो श्रीलंका द्वारा दिया गया नाम है। चक्रवाती तूफान असानी के अंडमान एंड निकोबार दीप समूह की तरफ बढ़ने के मद्देनजर जहाज सेवाओं को रोक दिया गया है। मछुआरों को भी 19 मार्च से 22 मार्च के बीच समुद्र में नहीं जाने का अलर्ट जारी किया गया है। अनुमान जताया गया है कि चक्रवात असानी बंगाल की खाड़ी के दक्षिण पूर्व तट से होते हुए अंडमान एंड निकोबार तक पहुंचेगा।

भारत के मौसम विभाग (IMD) के अनुसार चक्रवात के उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ने और 22 मार्च को उत्तरी म्यांमार और दक्षिण-पूर्व बांग्लादेश तटों के पास पहुंचने की भविष्यवाणी की गई है। मौसम विभाग ने अंडमान के कुछ स्थानों पर भारी वर्षा की भी भविष्यवाणी की है। निकोबार द्वीप समूह में भी अलग-अलग स्थानों पर भारी वर्षा की संभावना जताई गयी है।

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए IMD के महानिदेशक डॉ मृत्युंजय महापात्रा ने कहा कि, “उत्तर हिंद महासागर में मार्च में चक्रवात कम हो सकते हैं लेकिन दुर्लभ नहीं हैं। मार्च के महीने में हमें कई तीव्र सिस्टम नहीं मिलता है। इसकी अधिकतम तीव्रता 70-80 किमी/घंटा के बीच हवा की गति वाले चक्रवात की हो सकती है।”

कैसे रखे जातें हैं तूफानों के नाम?: जब हवाओं की गति 74 मील प्रति घंटा या इससे अधिक होती है तो इसे साइक्लोन माना जाता है और इसी गति के आधार पर इसे चक्रवात का नाम दिया गया है। चक्रवातों के नाम क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्रों द्वारा और उष्णकटिबंधीय चक्रवात चेतावनी केंद्र द्वारा दिया जाता है।

In this INSAT 3-D image, taken between 07:00 to 07:27 hrs, shows a Depression formed in the Bay of Bengal due to Cyclone Asani. (PTI Photo)

भारत के मौसम विभाग का RSMC केन्द्र उन केंद्रो में से एक है जो 13 देशों को मौसम के बारे में सलाह देता है और RSMC ही बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में चक्रवात के नामाकरण का अधिकार रखता है।

यानी जब भारत या उपरोक्त 13 देशों में कोई चक्रवात आता है तब सुझाव के आधार पर नाम रखे जाते हैं। चक्रवातों का नाम रखना जरूरी भी होता है ताकि मीडिया, वैज्ञानिकों और आपदा प्रबंधको के लिए सुगमता बनी रहे।