साल 2022 में केवल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली और भारतीय आयुर्विज्ञान शोध संस्थान (आइसीएमआर) ही साइबर अपराधों के शिकार नहीं बने थे, इस दौरान देश के सरकारी संस्थानों, एजंसियों और उपक्रमों के खिलाफ 1,92,439 साइबर सुरक्षा घटनाएं दर्ज की गईं । देश में इंटरनेट पर बढ़ती निर्भरता के बीच सरकारी संस्थानों, एजंसियों और उपक्रमों के खिलाफ साइबर अपराध की घटनाओं में भी तेजी से वृद्धि हुई है। नौ साल में 2022 के दौरान सबसे अधिक साइबर अपराध की घटनाएं दर्ज की गईं और 2021 के मुकाबले 2022 में इनकी संख्या में तीन गुना बढ़ गई। 2022 में 198 घटनाओं में तो अपराधियों ने फिरौती की मांग की।
केंद्रीय इलेक्ट्रानिक और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने यह जानकारी राज्यसभा के एक सवाल के जवाब में दी। चंद्रशेखर के मुताबिक भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया दल (सर्ट-इन) देश में साइबर सुरक्षा घटनाओं पर निगाह और इनकी निगरानी रखता है। इस दल के मुताबिक साल 2022 के दौरान सरकारी एजंसियों, संस्थानों और उपक्रमों के खिलाफ 1,92,439 साइबर सुरक्षा घटनाएं दर्ज की गर्इं।
ये घटनाएं साल 2021 में दर्ज 48,285 के मुकाबले तीन गुना ज्यादा हैं। साथ ही सरकारी एजंसियों, संस्थानों और उपक्रमों के खिलाफ नौ सालों में सबसे अधिक घटनाएं हैं। जहां तक इन अपराधों में मामले दर्ज करने की बात ही तो राष्ट्रीय अपराध रेकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के मुताबिक 2022 में 52,974 मामले साइबर अपराध की श्रेणी में दर्ज किए गए।
चंद्रशेखर के अनुसार साल 2022 के दौरान साइबर सुरक्षा की 198 घटनाओं में साइबर अपराधियों ने फिरौती की मांग की। सूत्रों के मुताबिक दिल्ली स्थित एम्स पर साइबर हमला करने वाले अपराधियों ने भी फिरौती की मांग की थी। 2021 में ऐसे साइबर हमलों की संख्या 111 थी जिनमें अपराधियों ने फिरौती की मांग की थी। वहीं, 2014 में ऐसे हमलों की संख्या शून्य थी।
मंत्री के मुताबिक सरकार विभिन्न साइबर सुरक्षा खतरों के बारे में पूरी तरह से सजग और जागरूक है। सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि भारत में इंटरनेट अपने सभी उपयोगकर्ताओं के लिए खुला, सुरक्षित, विश्वसनीय और जवाबदेह हो। ऐसे हमलों को रोकने के लिए सरकार की ओर से कई कदम उठाए गए हैं। इसके तहत केंद्र, राज्य व केंद्रशासिल प्रदेशों की सरकारें, उनके संगठनों, मंत्रालयों और विभागों के लिए सर्ट-इन की ओर से साइबर हमलों और साइबर आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए एक साइबर संकट प्रबंधन योजना तैयार की गई है।
सूचना प्रौद्योगिकी के बुनियादी ढांचे को सुरक्षित करने और साइबर हमलों का कम करने के लिए सर्ट-इन की ओर से नेटवर्क और प्रणाली प्रशासकों, सरकार और महत्त्वपूर्ण क्षेत्र के संगठनों के मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारियों के लिए नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। सर्ट-इन निरंतर आधार पर कंप्यूटर और नेटवर्क की सुरक्षा के लिए नवीनतम साइबर खतरों और प्रतिउपायों के बारे में चेतावरी परामर्श जारी करता है।सर्ट-इन और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने संयुक्त रूप से ‘डिजिटल इंडिया प्लेटफार्म’ के माध्यम से ‘वित्तीय धोखाधड़ी के सावधान और जागरूक रहें’ विषय पर साइबर सुरक्षा जागरूकता अभियान चलाया है।
महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध रोकथाम (सीसीपीडब्लूसी) योजना के तहत साइबर फोरेंसिक सह प्रशिक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना, जूनियर साइबर सलाहकारों की भर्ती और पुलिसकर्मियों, लोक अभियोजकों और न्यायिक अधिकारियों की क्षमता निर्माण के लिए सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को 99.88 करोड़ रूपए की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। अब तक 33 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में साइबर फोरेंसिक सह प्रशिक्षण प्रयोगशालाएं शुरू की जा चुकी हैं।