शिवसेना के पूर्व विधायक सदा सरवरणकर ने रविवार को बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि मौजूदा विधायक को डेवलपमेंट फंड के रूप में भले ही 2 करोड़ रुपये मिल रहे हों, लेकिन वर्तमान विधायक नहीं होने के बावजूद उन्हें अभी भी 20 करोड़ रुपये मिलते हैं। सरवरणकर ने कहा, “मुझे कभी भी हार का एहसास नहीं हुआ क्योंकि जनता का समर्थन अटूट है। अगर मैं हार भी गया, तो मेरा नेतृत्व मुख्यमंत्री और एकनाथ शिंदे मेरे पीछे मजबूती से खड़ा है। जहां मौजूदा विधायकों को 2 करोड़ रुपये मिलते हैं, वहीं मुझे 20 करोड़ रुपये मिलते हैं, जबकि मैं विधायक नहीं हूं। यही कारण है कि मैं हर उद्घाटन समारोह में दिखाई देता हूं, क्योंकि मेरी कार्यशैली ही मुझे परिभाषित करती है।”
अपनी चुनावी हार पर टिप्पणी करते हुए सरवरणकर ने कहा, “मुझे पूरा एहसास है कि मैं विधायक नहीं हूं। दादर हो या कहीं और मैंने हमेशा पूरी लगन से काम किया है। लेकिन मेरे अनुभव में, कड़ी मेहनत कभी-कभी हार का कारण बनती है। जो कुछ नहीं करते, वे अक्सर सिर्फ जाति और समुदाय के आधार पर जीत जाते हैं।”
महेश सावंत ने दी प्रतिक्रिया
सरवणकर के बयान पर शिवसेना यूबीटी के विधायक महेश सांवत ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सरवणकर को महाराष्ट्र चुनाव में हराया था। महेश सावंत ने कहा, “यह गलत है कि पूर्व विधायकों को विशेष निधि आवंटित की जाती है। उन्हें 20 करोड़ रुपये मिले, हमें 40 करोड़ रुपये क्यों नहीं मिल रहे? अब तक उन्हें विभिन्न कार्यों के लिए 500 करोड़ रुपये मिल चुके हैं। यह सारा पैसा कहां से आया और कहां गया।”
उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री के समक्ष शिकायत दर्ज कराने को कहा और कहा कि यह स्थिति माहिम, दादर, माटुंगा और प्रभादेवी के लोगों का अपमान है। शिवसेना यूबीटी नेता अखिल चित्रे ने भी सरकार की आलोचना करते हुए कहा, “अब जनता समझ गई है कि पैसे का बंटवारा कैसे होता है। सत्तारूढ़ दल के कई नेता लापरवाह हो गए हैं। ईडी को इस मामले की जांच करनी चाहिए।”
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स्थानीय निकाय चुनाव पर क्या बोले संजय गायकवाड़
अपने विवादास्पद बयानों के लिए जाने जाने वाले शिवसेना विधायक संजय गायकवाड़ ने स्थानीय निकाय चुनाव खर्च पर अपनी टिप्पणी से फिर विवाद खड़ा कर दिया है। गायकवाड़ ने कहा कि कुछ चुनावी खर्च बहुत ज्यादा हो गए हैं, जिससे पार्टी कार्यकर्ताओं पर दबाव बढ़ रहा है। उन्होंने आगे कहा, “स्थानीय निकाय चुनाव अब आसान या सरल नहीं रहे। कुछ इलाकों में तो उम्मीदवारों को एक, दो या तीन करोड़ रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं। इतनी ज्यादा लागत के कारण कार्यकर्ता भारी तनाव में हैं।”
स्थानीय निकाय चुनाव में कार्यकर्ताओं पर अपने हाल पर छोड़ देते हैं- गायकवाड़
गायकवाड़ ने कहा, “लोकसभा और विधानसभा चुनावों में हम बीजेपी -शिवसेना (शिंदे) गठबंधन को प्राथमिकता देते हैं। लेकिन स्थानीय निकाय चुनावों में, हमारे कार्यकर्ताओं को अपने हाल पर छोड़ दिया जाता है। अगर चुनाव का खर्च इतना ज्यादा रहा, तो वे कैसे काम चला पाएंगे? अगर चिखली या मलकापुर में अपनाई गई नीतियां बुलढाणा में भी लागू होती हैं, तो हम गठबंधन के लिए तैयार हैं। हमारे कार्यकर्ताओं को न्याय मिलना चाहिए।”
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