दुनिया भर में कला और प्राचीन वस्तुओं की कालाबाजारी अरबों डालर का धंधा है। इस बाजार ने चोरी की प्राचीन वस्तुओं के अवैध व्यापार को भी बढ़ावा दिया है। इसका संगठित अपराध गिरोहों से गहरा संबंध है। सांस्कृतिक विरासत में वे स्मारक, जहाजों के अवशेष और कलाकृतियां भी शामिल हैं, जो कम से कम सौ वर्षों से पानी के नीचे पड़ी हैं। पानी के नीचे स्थित पुरातात्त्विक स्थलों को दुनिया भर में अलग-अलग राष्ट्रीय कानूनों द्वारा विनियमित किया जाता है। चोरी की जाने वाली वस्तुओं में आमतौर पर चित्रकला, मूर्तियां, प्रतिमाएं, पुस्तकें, फर्नीचर, सिक्के, हथियार, सोने-चांदी के बर्तन और धार्मिक वस्तुएं आदि होती हैं।

सांस्कृतिक संपदा का अवैध व्यापार रोकने और चोरी की प्राचीन वस्तुएं उनके मूल देशों को लौटाने की सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से विगत 26 जुलाई को विश्व धरोहर समिति के छियालीसवें सत्र के दौरान भारत और अमेरिका ने नई दिल्ली में पहली बार ‘सांस्कृतिक संपदा समझौता’ पत्र पर हस्ताक्षर किए, जो 1970 के यूनेस्को समझौते के अनुरूप है। सत्तर के दशक से पहले भारत से बड़ी संख्या में प्राचीन वस्तुओं की तस्करी की गई थी, जो अब भी दुनिया भर के विभिन्न संग्रहालयों, संस्थानों और निजी संग्रहों में पड़ी हैं।

1976 से अब तक 358 पुरावशेषों को वापस लाया जा चुका है। सांस्कृतिक संपत्ति समझौता जी-20 संस्कृति कार्य समूह की बैठकों के दौरान आयोजित वर्ष भर की द्विपक्षीय चर्चाओं और वार्ताओं का परिणाम है। सांस्कृतिक संपत्तियों का प्रत्यावर्तन नैतिक अनिवार्यता के साथ सांस्कृतिक कूटनीति और सतत विकास में एक व्यावहारिक निवेश भी है। इससे पहले वर्ष 2022 में भारत-अमेरिका के बीच सांस्कृतिक संपदा के अवैध आयात-निर्यात, हस्तांतरण निषेध और रोकथाम पर अनुच्छेद 9 के तहत द्विपक्षीय विमर्श हुआ था।

स्टेटस सिंबल है संग्रहालय

आम लोगों के लिए तो संग्रहालय ऐसी जगह होते हैं, जहां वे आधुनिक या प्राचीन कलाकृतियां देखने जाते हैं, लेकिन जो लोग इन्हें खरीद सकते हैं, वे इन्हें अपने पास रखना पसंद करते हैं। वे लाखों डालर खर्च कर ‘स्टेटस सिंबल’ की तरह अपने घरों में रखते हैं। यही प्रवृत्ति अंतरराष्ट्रीय तस्करी को प्रोत्साहित करती है। एक अनुमान के अनुसार, चोरी की गई प्राचीन वस्तुओं का संग्रह वैश्विक स्तर पर 50 अरब डालर से ज्यादा का हो चुका है। यह अवैध कला व्यापार पूरे उद्योग का लगभग पांच फीसद है।

यह एक बड़ी समस्या के रूप में पूरे कला जगत को परेशान कर रहा है। इस सबसे निपटने के लिए इंटरपोल ने ‘आइडी-आर्ट’ नाम से एक ‘ऐप’ शुरू किया है, जो इन पुरावशेषों की पहचान करने में मदद कर सकता है। चूंकि यह पूरी विश्व मानवता के खिलाफ अपराध है, इसलिए यूनेस्को और इंटरपोल चोरी की गई सांस्कृतिक संपत्तियों के बारे में कला संग्राहकों के साथ, आम लोगों को भी जागरूक करने और शिक्षित करने में जुटे हुए हैं। इस दिशा में अब अधिक कठोर सजा के लिए अंतरराष्ट्रीय कानूनी ढांचे में बदलाव की जरूरत महसूस की जा रही है।

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अंतरराष्ट्रीय बैठकों और सम्मेलनों के दौरान एकत्र जानकारी और सुरक्षित वैश्विक नेटवर्क के माध्यम से समय-समय पर उजागर हुए गोपनीय डेटा से पता चलता है कि पूरी दुनिया में नकली ऐतिहासिक कलाकृतियों की चोरबाजारी में तेजी से वृद्धि हुई है। वैश्विक स्तर पर जारी छानबीन, छापों के दौरान इटली में सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए इतालवी कमांड ने एक आनलाइन बाजार से 77 प्राचीन पुस्तकें जब्त कीं। ये पुस्तकें एक मठ के अभिलेखागार से चुराई गई थीं। स्पेन के सेविला में सिविल गार्ड द्वारा बरामद की गई महिला सम्राट ट्रायन की भतीजी सैलोनिया मटिडिया की रोमन संगमरमर की मूर्ति बरामद हुई। पोलिश पुलिस ने एक आनलाइन बिक्री मंच से 3,073 प्राचीन सिक्के जब्त किए। एक पुरातात्त्विक स्थल की लूट के बाद रोमानियाई कानून प्रवर्तन विभाग ने अतिरिक्त 117 डेसियन और रोमन सिक्के भी बरामद किए। इन सबके अलावा पुर्तगाली अधिकारियों ने 48 धार्मिक मूर्तियां और अन्य धार्मिक कलाकृतियां बरामद कीं। माना जाता है कि ये वस्तुएं उत्तरी पुर्तगाल के गिरजाघरों में की गई पंद्रह डकैतियों से जुड़ी हुई हैं।

कोविड के दौरान सक्रिय हुई काला बाजारी

यूनेस्को और इंटरपोल के सूत्र दावा करते हैं कि पूरी दुनिया में कोरोना महामारी के दौरान बंदी में ऐसी प्राचीन वस्तुओं का काला बाजार पहले से ज्यादा सक्रिय हो उठा था, जिसने सिर्फ दो वर्ष में ही दस अरब डालर की कमाई कर ली थी। अक्सर, पैसा उन लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है, जिनकी आजीविका सांस्कृतिक खजाने की खोजों पर निर्भर होती है, लेकिन बाजार तस्करी के माल से पटे रहते हैं। ऐसे चुनौतीपूर्ण हालात में अब नए विरासत-स्थलों और कलाकृतियों की खोज से उनकी प्रामाणिकता का पता लगाना कठिन होता जा रहा है। बीते तीन दशकों में ऐसे बाजार के कुछ हिस्सों में बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिला है। प्राचीन वस्तुओं की तस्करी आसान हो चुकी है। उनमें कई विश्व धरोहर स्थल तक की वस्तुएं शामिल हैं। शोधार्थियों के लिए बहुमूल्य ऐसे कई स्थल हैं, जिनके बारे में यूनेस्को तक को पता नहीं है। चोरी की गई प्राचीन वस्तुओं की बिक्री वैश्विक स्तर पर हो रही है, इसलिए अब कानून प्रवर्तन के एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की आवश्यकता महसूस की जा रही है।

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विश्व के बहत्तर देशों से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों में पाया गया है कि यह अपराध बेरोकटोक बढ़ रहा है। कोरोना काल में वैश्विक स्तर पर आठ लाख चौवन हजार 742 सांस्कृतिक वस्तुएं जब्त की गई थीं, जिनमें सिक्के, पदक, पेंटिंग, मूर्तियां, पुरातात्त्विक वस्तुएं और पुस्तकालय सामग्री शुमार रही हैं। इनमें से आधे से अधिक पांच लाख सड़सठ हजार 465 वस्तुएं यूरोप में जब्त हुई थीं। ऐसी चोरी और तस्करी के कई बड़े अपराध घटित हुए, मसलन, एम्स्टर्डम में सिंगर लारेन संग्रहालय से वान गाग की पेंटिंग और आक्सफोर्ड में क्राइस्ट चर्च कालेज से तीन उत्कृष्ट कृतियों की चोरी।

सांस्कृतिक संपत्तियों की हो रही चोरी-तस्करी

आइडी-आर्ट पहले से ही सांस्कृतिक संपत्ति अपराध जांच में कानून प्रवर्तन की मदद कर रहा है। लंदन में एक मुद्रा विशेषज्ञ से मिली सूचना के बाद से, स्पेनिश राष्ट्रीय पुलिस ने रोमन साम्राज्य के सोने के तीन सिक्के बरामद किए। दो व्यक्तियों को तब गिरफ्तार किया गया, जब वे एक दशक पहले स्विट्जरलैंड से चुराए गए सिक्कों में से एक को बेचने की कोशिश कर रहे थे। आइडी-आर्ट का उपयोग करके, जांचकर्ता सिक्कों की पहचान करने में सक्षम थे, जिनकी कीमत काले बाजार में करीब दो लाख यूरो थी। इस समय अपनी-अपनी साझी विरासत संभाल रहा दुनिया का हर देश, सांस्कृतिक संपत्ति अपराध से किसी न किसी तरह प्रभावित हो रहा है और इससे इंटरपोल समेत तमाम सुरक्षा एजंसियों की चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। चोरी-तस्करी के नए-नए रुझानों के मद्देनजर इंटरपोल नए-नए उपकरण तथा खुफिया संसाधन विकसित और अद्यतन कर रहा है, ताकि दुनिया भर में प्रवर्तन एजंसियों और निजी संस्थाओं को इन अपराधों से बेहतर तरीके से लड़ने में मदद मिल सके।

इस समय अपनी-अपनी साझी विरासत संभाल रहा दुनिया का हर देश, सांस्कृतिक संपत्ति अपराध से किसी न किसी तरह प्रभावित हो रहा है और इससे इंटरपोल समेत तमाम सुरक्षा एजंसियों की चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। चोरी-तस्करी के नए-नए रुझानों के मद्देनजर इंटरपोल नए-नए उपकरण, खुफिया संसाधन विकसित और अद्यतन कर रहा है, ताकि दुनिया भर में प्रवर्तन एजंसियों और निजी संस्थाओं को इन अपराधों से बेहतर तरीके से लड़ने में मदद मिल सके।