राजधानी दिल्ली में कोरोना के चलते पूर्णबंदी के दौरान भी आपराधिक वारदातें हो रही हैं। हालांकि इनकी संख्या कम हो गई है। सेंधमारी और चोरी की वारदातों में भी कमी है, लेकिन बंदी के इस दौर में अपराधियों के लिए यह काम करना आसान बना हुआ है। पुलिस के पास अधिकतर शिकायतें आॅनलाइन आ रही हैं।
पूर्णबंदी के चलते लोगों का घर से निकलना बंद किया गया है। लेकिन अपराधी इससे बेपरवाह हैं। सख्ती में भी घटनाओं की सूचना पुलिस को मिल रही है। लोग थाने न पहुंचकर अपनी समस्याएं आनलाइन दर्ज करा रहे हैं। हालांकि पुलिस के पास पड़ोसियों से कोरोना के संक्रमण, खाद्य पदार्थों की कमी की शिकायत के बाद बीमारों को अस्पताल ले जाने की दिक्कतों से संबंधित सूचनाएं प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में आ रही हैं। आपराधिक वारदातों का ग्राफ काम होने के दावे दिल्ली पुलिस के तीनों उपायुक्त एसके सिंह, शरत कुमार सिन्हा और अतिरिक्त प्रवक्ता एके मित्तल के भी हैं।
घरेलू हिंसा पर आयोग गंभीर
राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्लू) ने कोरोना के दौरान घरेलू हिंसा से जुड़े मामले बढ़ने की बात कही है। जबकि दिल्ली पुलिस ने 15 दिनों के आंकड़े देते हुए यह दावा किया है कि शिकायतें कम हैं। आयोग की रेखा शर्मा ने कहा है कि 24 मार्च से एक अप्रैल तक एनसीडब्लू को 69 घरेलू हिंसा की शिकायतें मिली हैं और यह दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। रोज कम से कम एक या दो ईमेल मिल रहे हैं, यहां तक कि सीधे मेरी व्यक्तिगत ईमेल आइडी पर भी कई मेल आ रहे हैं।
मेरे स्टाफ के सदस्यों को हमारे आधिकारिक ईमेल आईडी और फोन नंबर के अलावा उनके व्यक्तिगत ईमेल और वाट्सऐप नंबर पर घरेलू हिंसा की शिकायतें भी मिल रही हैं। शर्मा ने कहा कि मैंने लॉकडाउन के कारण विभिन्न प्रकार की शिकायतें देखी हैं। महिलाएं पुलिस तक नहीं पहुंच पाती हैं और वे पुलिस में भी नहीं जाना चाहती हैं।
‘जेल की चिट्ठी’ में दिखा कोरोना के खिलाफ कैदियों का काम
कोरोना विषाणु के खिलाफ लड़ाई देश की जेलों से भी लड़ी जा रही है। आम जनता को संक्रमण के खतरे से बचाने लिए जेलों में भी मास्क, सेनेटाइजर किट व विशेष वार्ड भी तैयार किए जा रहे हैं। जेल सुधारक व तिनका तिनका की संस्थापक वर्तिका नंदा ने इसकी तारीफ की है। इसके लिए वर्तिका नंदा ने वीडियो तैयार किया है जिसे उन्होंने ‘जेल की चिट्ठी’ नाम दिया है। इसमें उन्होंने बताया है कि बंद की वजह से पहली बार लोगों को जेल जैसी जिंदगी का अहसास हुआ है जबकि जेल की परिस्थितियां इससे कहीं ज्यादा विकट हैं। ऐसा पहली बार हुआ है जब बाहर के कई लोग खुद को जेल के बंदी जैसा ही महसूस करने लगे हैं।
इससे यह उम्मीद भी की जा सकती है कि उन्हें आपकी तकलीफ का अंदाजा होगा। देश की 1,339 जेलों में करीब 4,66,084 कैदी बंद हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, देश की जेलों में औसतन क्षमता से 117.6 फीसदी ज्यादा बंदी हैं। उत्तर प्रदेश और सिक्किम जैसे राज्यों में यह दर क्रमश: 176.5 फीसदी और 157.3 फीसद है। संकट के इस दौर में तिहाड़ से मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और केरल समेत कई राज्यों ने बाहर की दुनिया को कोरोना से बचाने के लिए सराहनीय काम किया है।

