जीवन का हर क्षेत्र कला से प्रभावित है। ऐसे में हम कह सकते हैं कि किसी न किसी रूप में हर व्यक्ति कलाकार है, लेकिन सुपरिभाषित और स्थापत्य के आधार पर कलाकारों की भी श्रेणियां हैं। जब किसी विषय में विशिष्टता की बात आती है तो उसके लिए कुछ विशेषताओं का होना भी जरूरी है। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) की संस्कृति परिषद के अध्यक्ष अनूप लाठर के मुताबिक एक अच्छे कलाकार में निम्न विशिष्ट गुण होने आवश्यक हैं।

रचनात्मकता : रचनात्मकता (क्रिएटिविटी) वह गुण है जो सिखाने से पैदा नहीं हो सकता। यह वैसे तो जन्मजात प्रतिभा होती है, लेकिन इसे तराशना जरूरी होता है। कला को निरंतर अभ्यास और नवीन चीजों को ग्रहण करने से तराशा जाता है। अभिनय, शास्त्रीय नृत्य, कोरियोग्राफी, प्रकाश योजना, मंच सज्जा, वेशभूषा आदि के मामले में तो रचनात्मकता के साथ अभ्यास की बहुत ही अधिक जरूरत होती है। अगर किसी व्यक्ति में रचनात्मकता का अभाव है तो वह कभी भी स्थापित कलाकर नहीं बन सकता।

समर्पण और भावुकता : किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिए समर्पण भावना आवश्यक है, लेकिन कला के क्षेत्र में समर्पण के साथ भावुकता का होना भी जरूरी है। कलाकार जितना अपने कार्य के प्रति समर्पित होगा उसकी भावनाएं भी उतनी ही अधिक बलवती होती जाएंगी। भावुक व्यक्ति अपने कार्य के प्रति जो लगाव रख सकता है, भावनाहीन व्यक्ति उतना समर्पण नहीं रख सकता। किसी भी कलाकार को अपने क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए समर्पित और भावुक होना जरूरी है।

जुनून : रचनात्मकता, समर्पण और भावुकता होने के बावजूद अगर कलाकार में काम के प्रति जुनून नहीं है तो भी वह सफल कलाकार नहीं हो सकता। भावुक और कड़ी मेहनत करने वाले कलाकारों को सफलता जरूर मिलती है। जुनून का भावना से भी गहरा नाता है। अगर कलाकार में भावना नहीं है तो वह कड़ी मेहनत और ऊर्जा को कला में नहीं झोंक पाएगा।

सहनशीलता : सहनशीलता कलाकार का अहम गुण है। उग्र और आवेशित व्यक्ति सफल कलाकार स्थापित नहीं हो सकता। कला के क्षेत्र में स्थापित होने की इच्छा रखने वाले किसी भी साधक की यह सबसे महत्त्वपूर्ण और बुनियादी गुणवत्ता है कि वह सहनशील हो।

टीम भावना : कलाकार में टीम भावना का होना भी जरूरी है। अच्छी टीम के बिना कोई भी काम या ‘प्रोडक्शन’ सफल नहीं हो सकता, भले ही वह कोई एकल प्रदर्शन ही क्यों न हो। कलाकार को टीम के साथ मिलकर काम करने में आनंद आना चाहिए। साथी कलाकारों के साथ समन्वय होना चाहिए और टीम के रूप में काम करने की क्षमता होनी चाहिए।

प्रस्तुति : सुशील राघव